“She believed she could, so she did.”
प्रकृति के दो विशिष्ट सृजन है और वे एक–दुसरें के पूरक है | एक के अभाव में आप दूसरे की कल्पना भी नहीं कर सकते | लेकिन अनेक समानताओं के होते हुए भी नर-नारी सामर्थ्य और सक्रियता के क्षेत्र कई संदर्भों में भिन्न – भिन्न है |
History of Women's Day
दरअसल साल 1908 में एक महिला मजदूर आंदोलन की वजह से महिला दिवस मनाने की परंपरा की शुरूआत हुई। इस दिन 15 हज़ार महिलाओं ने नौकरी के घंटे कम करने, बेहतर वेतन और कुछ अन्य अधिकारों की मांग को लेकर न्यूयार्क शहर में प्रदर्शन किया। एक साल बाद सोशलिस्ट पार्टी ऑफ़ अमेरिका ने इस दिन को पहला राष्ट्रीय महिला दिवस घोषित किया। 1910 में कोपेनहेगन में कामकाजी महिलाओं का एक अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन हुआ, जिसमें इस दिन को अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के तौर पर मनाने का सुझाव दिया गया और धीरे धीरे यह दिन दुनिया भर में अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में लोकप्रिय होने लगा।
महिलाओ को लेकर समाज के लोगों को जागरूक करने, महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने जैसी चीजों के प्रति उन्हें जागरूक करने के लिए हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। महिलाओं के हौसलों को बुलंद करने और समाज में फैले असमानता को दूर करने के लिए ही हर वर्ष महिला दिवस मनाया जाता है।
महिला दिवस से जुड़े रोचक किस्से
1- सबसे पहले महिला दिवस साल 1909 में अमेरिका में मनाया गया था।
2- 1917 में रूसी महिलाओं ने पहले विश्व युद्ध के प्रति विरोध जताकर महिला दिवस मनाया था। उस वक्त रूस के नेता ज़ार निकोलस II ने पेट्रोग्रेड मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट के जनरल खाबलो को निर्देश दिया कि वह जारी विरोध-प्रदर्शन को रुकवाएं और जो भी महिला इसका विरोध करे उसे गोली मार दें। लेकिन इस धमकी से कोई भी महिला नहीं डरी और हर मुसीबत का डटकर सामना किया। इन महिलाओं की अदम्य साहस से पस्त होकर रूसी नेता ज़ार को अपने हथियार डालने पड़े और उन्होंने सत्ता त्याग दी।
3- वहीं यूनाइटेड नेशन्स ने आधिकारिक तौर पर, 8 मार्च, 1975 को पहला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया था।
4-आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया में कई ऐसे देश हैं जहां अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर महिलाओं को छुट्टी दी जाती है। अफगानिस्तान, क्यूबा, वियतनाम, युगांडा, कंबोडिया, रूस, बेलरूस और यूक्रेन कुछ ऐसे देश हैं जहां 8 मार्च को आधिकारिक छुट्टी होती है।
Women's Day Special महिला दिन विशेष
भारतीय समाज में जहाँ पुरूषों को पौरुष, श्रम, कठोरता और अधीरता का प्रतिमूर्ति माना गया है, वही नारी को त्याग, दया, करुणा, ममता और धैर्य की प्रतिमूर्ति कहा जाता है | भारतीय नारी अपनी इसी विशेषता की वजह से न जाने कितने रिश्तों का निर्वाह किया करती है | बेटी के रूप में जन्म लेकर जीवन आरंभ करने वाली नारी किसी की बहन, किसी की पत्नी, और किसी की माँ होती है |
इतिहास गवाह है कि भारतीय नारी पुरुष को प्रतिष्ठा और उपलब्धि के सर्वोच्च शिखर पर आरूढ़ करने के लिए स्वयं को भी दाव पर लगा दिया करती है | नारी के इसी अभिनव व्यक्तित्व और कृतित्व को लक्ष्य कर कही गयी यह उक्ति एक सर्वमान्य सत्य बनकर स्थापित हो गई है कि प्रत्येक पुरुष के सफलता में एक स्त्री का हाथ होता है लेकिन विडम्बना देखिए, नारी सामर्थ पर सवाल हमेशा ही उठते रहे हैं पर नारी को जो सम्मान पुरातन भारतीय संस्कृति में प्राप्त था वह सम्मान आज भी नारी को नहीं मिल सका है।
भारतीय संस्कृति में नारी को माता के पद पर प्रतिष्ठित किया गया है | नारी को देवी मानकर उसकी पूजा की जाती है | पुरातन भारतीय समाज में तो किसी पुरुष द्वारा पत्नी की अनुपस्थिति में किया जानेवाला धार्मिक अनुष्ठान सर्वथा अधूरा समझा जाता था | यही वजह है कि पत्नी के लिए धर्मपत्नी शब्द प्रचलित हुआ | उस समय की तत्कालीन परिस्थियों में नारी को शिक्षा प्राप्त करने, अपना जीवनसाथी चुनने की स्वतंत्रता प्राप्त थी | स्त्री को घर की लक्ष्मी माना जाता था और इन्हें लगभग प्रत्येक दृष्टि से भरपूर सम्मान मिलता था | खुद को मिले सम्मान का परिचय इन्होंने अपने नारी सामर्थ से प्रस्तुत किया | जैसे की पुरातन उद्धरणों की बात करें तो गार्गी, अपाला और मैत्रेयी जैसी विदुषी नारियों ने पुरुषों को शस्त्रार्थ में, राजमाता जिजाऊ हमारे स्वराज के लिए, क्रांतिज्योति सावित्री ने हमारे शिक्षा के लिए, झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ने रणभूमि में अग्रेजों को, महादेवी वर्मा और सुभद्राकुमारी चौहानने श्रेष्ठ साहित्य का सृजन करके, प्रियदर्शिनी ने देश को कुशल नेतृत्व प्रदान करके, प्रथम आइपीएस अधिकारी किरण बेदी कठोर प्रशासकीय दायित्वों का सकुशल निर्वहण करके, मदर टरेसा ने अनाथों को गले लगाकर और कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स ने आकाश की ऊचाईयों को छूकर नारी सामर्थ्य का अभिनव परिचय प्रस्तुत किया |
आज से कुछ साल पहले जिन खेलों में नारियों को कमजोर बताकर उन्हें खेलने से रोका जाता था। आज उन्ही खेलों में मेरी कॉम ने सफलता का परचम लहराकर देश का नाम रोशन किया | गीता फोगाट, पीवी सिंधु, सानिया मिर्जा, सायना नेहवाल, साक्षी मलिक, मिताली राज और टीम आदि जैसी महिलाए खेल जगत की गौरवपूर्ण पहचान है, तो प्रियंका चोपड़ा, ऐश्वर्या राय, सुष्मिता सेन, लारा दत्ता, मानुषी छिल्लर, हरनाज कौर संधू आदि महिलाओं ने सौन्दर्य प्रतियोगिता जीतकर अन्तराष्ट्रीय मंच पर भारत का नाम रौशन किया |
वर्तमान समय को अगर हम नारी उत्कर्ष की सदी कहे तो गलत नहीं होगा | आज की भारतीय नारी लगातार हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है | लेकिन अभी भी भारतीय नारी को अपना खोया हुआ आत्मसम्मान पाने में कुछ समय अवश्य लगेगा, परन्तु संभावनाएँ स्पष्ट है |
6 Comments
Beautifully Written.
ReplyDeleteSuperb.....
ReplyDeleteVery good👍
ReplyDeleteGood information.
ReplyDeleteExcellent.
ReplyDeletenice job
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