What is Anger ?
गुस्सा/Anger एक कमजोरी है लेकिन लोग इसे ताकद के रूप मे समझते है। गुस्सा एक चिंगारी जैसी है, पहले आपको जला देती है फिर आप दूसरों को जला देते है। न केवल आपको नुकसान पहुंचाती है बल्कि दुसरोको भी नुकसान देती है। क्रोध क्षणभंगुर है लेकिन अगर नियंत्रणसे बाहर गया तो विनाशकारी है। ये आपके व्यक्तिगत और सामाजिक संबंधोमे समस्याएं पैदा कर सकता है। How to control anger ? क्रोध प्रबंधन के लिए क्या करे ? ये देखनेवाले है।
मेरे हिसाब से क्रोध एक भावनात्मक स्थिती है, जो हल्के जलन से शुरू होकर तीव्र रोष गुस्से मे परिवर्तीत होती है। गुस्सा सबको आता है और ये एक सामान्य भावना है लेकिन हम इसको कैसे संभालते है ये मायने रखता है।
क्या क्रोध को प्रबंधित करने का कोई तरीका है ? क्या आपका गुस्सा हमेशा के लिए रहता है या फिर चला जाता है ? वास्तव मे गुस्सा आता है और चला भी जाता है। क्योंकि क्रोध एक प्रभाव है। अब हमें देखना है की हम क्रोध के प्रभाव को कैसे रोक सकते है ? How to control anger ? ये प्रभाव परीक्षा के परिणाम जैसा है। जिसे हम बदल नहीं सकते। इसलिए यहा हमें बदलना है क्योंकि जब तक कारण है तब तक ही प्रभाव है।
Why is Anger harmful to you? क्रोध आपके लिए हानिकारक क्यों है?
जब क्रोध अप्रबंधित और आवर्तक होता है तब ह्रदय गति, रक्तचाप तथा तनाव के स्थर मे वृद्धि करता है। अप्रकाशित क्रोध कई दुष्प्रभाव पैदा करता है और नई बीमारियों को जन्म देता है जैसे की चिंता और अवसाद, अनिद्रा, उच्च रक्तचाप, सिरदर्द, कब्ज की शिकायत, त्वचा संबंधी समस्याएं, दिल का दौरा और नकारात्मक भावनाए बढ़ जाती है। पहले से मौजूद स्वास्थ स्थितियोमे जटिलताएं आ जाती है। मानसिक स्थिती के साथ शारीरिक स्थिती भी कमजोर हो जाती है।
How to control anger ?
क्रोध प्रबंधन के लिए क्या करे ?
अपने गुस्से को प्रबंधित करने का ये मतलब नहीं की आप गुस्सा कभी ना करे। इसके बजाय आपको सीखना है की गुस्से का सामना कैसे करे? किस तरीके से व्यक्त करे? कैसे नियंत्रित करे ? क्रोध प्रबंधन का लक्ष्य आपकी भावनात्मक भावनाओ और क्रोध के कारण होनेवाली शारीरिक उत्तेजना को कम करना है। आप उनसे छुटकारा नहीं पा सकते जिसे आप परेशान होते है, ना ही आप वो बदल सकते है। लेकिन आप आपके क्रोध को नियंत्रित करना सीख सकते है।
क्रोध को प्रबंधित करना ये अपने आप मे चुनौती है। क्रोधी भावनाओको प्रबंधित करने के लिए आत्म-जागरूकता, आत्म-नियंत्रण बहोत ज़रूरी है। इन कौशल को विकसित होने मे समय लगता है। आत्म-नियंत्रण कार्य करने से पहले सोचने की भावना है, कार्य करने के बाद पछतावा ना हो इसके लिए ये कार्य करता है।
एक कदम पीछे हटते हुए गुस्से के प्रतिक्रिया को सीमित करना थोड़ा मुश्किल जरूर है लेकिन नामुमकिन नहीं। अपने गुस्से का मूल्यांकन करे और अपने आपको शांत करने हेतु कदम बढ़ाए। इसके लिए आप १० तक गिनती करे और थोड़ी दूर टहलने जाए।
शारीरिक गतिविधी का उपयोग करे जैसे मुक्केबाजी तथा मार्शल आर्ट जैसे तेजसे दौड़ना हो, गति से चलना हो या ऊर्जावान संगीत पे नृत्य करना हो या फिर कोई चित्र बनाना हो फिर उसमे रंग भरना हो। आप आपका मनपसंद संगीत सुनते हुए एक कप चाय का स्वाद भी ले सकते हो।
बोलने से पहले सोचे। अपना गुस्सा जाहिर करने के लिए हास्य का उपयोग करे। एक बार शांत होने के बाद अपनी बात सामनेवाले के पास व्यक्त करे। मन मे कोई शिकायत ना रखे। थोड़ा व्यायाम करे, थोड़ा समय ले और संभावित स्थिती को ध्यान मे रखते हुए अपने गुस्से को प्रकट करे।
हम हमेशा किसी न किसी पे गुस्सा करते ही रहते है और कई बार तो ऐसा होता है की हम किसी ओर का गुस्सा किसी ओर पे निकालते है तो ये कहानी है एक साधारण परिवार की जहा सोनू अपने माँ बाप के साथ रहता था। सोनू उम्रसे तो काफी कम था लेकिन उसका गुस्सा उसके उम्रसे काफी अधिक था। वो कभी अपने दोस्तों पे चिल्लाता तो कभी अपने माँ-बाप पे। उसका गुस्सा दिन पे दिन बढ़ता ही जा रहा था। उसके माँ-बाप भी उसकी इस हरकतसे काफी परेशान थे। एक दिन सोनू के पापाने सोनू को बुलाया और कहा मैंने तुम्हे बहोत ज़रूरी काम के लिए बुलाया है।
आजसे पुरे एक महीने तक हम एक प्रयोग करेंगे ऐसा कह के सोनू को हथोड़ी और कील का डिब्बा दिया और कहा, जब भी तुम्हे गुस्सा आये तब तुम दीवार पर एक कील ठोक देना। इसपे सोनू ने कहा, इतना आसान काम तो मे कर लूंगा लेकिन मुझे गुस्सा कम करने मत कहना क्योंकी वो मेरे काबू मे नहीं है। ऐसा कहके सोनू वहा से चला गया और मन मे सोचने लगा, कौनसा मुश्किल काम है कील ठोकना , मे तो ये आसानी से कर लूंगा। उसी दिन सोनू को ८ बार गुस्सा आया और उसने ८ बार जा के कील ठोकी। दूसरे दिन १० बार जा के कील ठोकी। ऐसे ही दिन बीतने लगे और सोनू कील ठोकता गया।
लेकिन एक दिन एहसास हुआ की ये हर बार कील ठोकते ठोकते परेशान तथा बोर हो गया हु। लेकिन पापा ने बोला हुआ काम है बंद तो नहीं कर सकता तो क्यों न अपने गुस्से को ही कम करदु ताकि कील ना ठोकनी पड़े। फिर सोनू ने निश्चिय किया की अब वो गुस्सा कम करेगा। अब उसकी कील काफी कम होने लगी कभी ४ तो कभी २ और एक दिन तो ऐसा भी आया की सोनू को १ भी कील नहीं ठोकनी पड़ी मतलब सोनू ने आज एक बार भी गुस्सा नहीं किया। सोनू दौड़ते दौड़ते अपने पापा के पास गया और बोला, आज मुझे १ बार भी गुस्सा नहीं आया अब मुझे इस हथोड़ी तथा कील की कोई ज़रूरत नहीं है।
तब सोनू के पापा ने सोनू को कहा, चलो आजसे हम नया प्रयोग करते है, जिस दिन तुम्हे गुस्सा नहीं आया उस दिन तुम दीवार से एक कील निकाल देना। सोनू को समझ गया था की पापा इसबार कुछ नया सीखना चाहते है ऐसा सोच के सोनू वहा से निकल गया।
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दिन बीतते गए और सोनू रोज़ की १ कील निकालता गया और इस तरह सोनू का गुस्सा कम होने लगा और एक दिन ऐसा आया की दीवार से सारी कील निकल गई थी। आज फिर सोनू,पापा के पास दौड़ते हुए गया और बोला मुझे अब गुस्सा आता ही नहीं है। मैंने अपने गुस्से पे काबू पा लिया है।
सोनू के पापा ने दीवार को देखते हुए कहा, कील तो निकल गई बेटा लेकिन कील से गिरी हुई छेद को मिटा पाओगे ? पहले जैसी दीवार बना पाओगे ? वो लगभग नामुमकिन है ऐसा सोनू ने कहा। गुस्से का भी ऐसा ही है वक्त के साथ और माफ़ी मांगने से वो कील निकल तो जाती है लेकिन शब्दों के घाव नहीं भरते, अविस्मरणीय रहते है।
गुस्से मे बोले गए शब्द हम भुला नहीं पाते इसलिए याद रखे रिश्तो मे कभी गुस्से की कील ना ठोके। गुस्से को सकारात्मक तरीके से हल करने से आपको अपने रिश्तो नुकसान पहुचाने के बजाय मजबूत बनाने मे मदद मिलेगी। रिश्तो को अपनी प्राथमिकता बनाए। क्षमा करने को हमेशा तत्पर रहे। इससे आप रिश्तो को जीत लेंगे।
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क्रोध अगिन घर घर बढ़ी,
जलै सकल संसार दीन लीन निज भक्त जो तिनके निकट उबार।
-संत कबीर
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9 Comments
Nice 👌👌👌
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteAwesome ,🤟
ReplyDeleteBeautifully written. Keep it up
ReplyDeleteVery impressive & helpful for everyone
ReplyDeleteWow
ReplyDeleteIt's true
ReplyDeleteNice thought 👌
ReplyDeletenice work
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