patience and opportunity

 

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तुषाराणां प्राप्तोपि प्रयत्नों धर्म आत्मनः ।

महिमाच प्रतिष्ठांच प्रोक्तोsयारः श्रमस्यहि।

          गायत्री का पाँचवाँ अक्षर ‘तु’ आपत्तियों और कठिनाईयों में धैर्य रखने की शिक्षा देता है। अर्थात- “आपत्तिग्रस्त होने पर भी सत्यता से प्रयत्न करना आत्मा का धर्म है। प्रयत्न की महिमा को जो जान जाते हैं, वही प्रतिष्ठा के हकदार होते हैं और कामयाबी का आनंद लेते हैं।“

          जीवन की आवश्यक वस्तुएं जब प्राप्त नही होती तब हम अधीर हो जाते हैं या कई बार किसी के चले जाने से हम विचलित हो जाते हैं। जिससे वर्तमान के साथ भविष्य को भी परेशानीयुक्त बना लेते हैं। 

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“ज्ञानी काटे ज्ञान से, अज्ञानी काटे रोय।

मौत, बुढापा आपदा, सब काहु को होय।।”

          कबीर दास जी के दोहे से ये स्पष्ट होता है कि, संसार में रहते हुए विपरीत परिस्थितियाँ अथवा आपत्तियाँ आना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है किन्तु जो अपने विवेक को धारण किये हुए धैर्य के साथ आगे बढता है वही संसार में इतिहास रचता है। कहने के लिये तो संसार में शेर, हाँथी, सर्प आदि मनुष्य से अधिक शक्तिशाली प्राणी मौजूद हैं, परन्तु मनुष्य को छोङकर ऐसा कोई प्राणी नही है जिसके पास विवेक की शक्ती हो। मनुष्य अपने विवेक से महत्वपूर्ण कार्य कर सकता है और उन्नति के मार्ग को संपादित कर सकता है।

        प्रकृति हमें कई माधयम से धैर्य का पाठ पढाती है। एक नन्ही सी चीटी सिखाती हैं कि धैर्य के साथ आगे बढो मंजिल तक पहुँच ही जायेंगे। दस में से नौ बार असफल होने के बाद भी दाना लेकर अपने बिल तक पहुँच ही जाती है। एक बात हमेशा याद रखिये, धैर्य वो सवारी है जो अपने सवार को कभी गिरने नही देती, ना किसी के कदमों में और ना ही किसी के नजरों में

         एक बड़ी सुन्दर भारतीय दंतकथा है की यदि स्वाति नक्षत्र मे वर्षा की एक बूँद भी उस सीप मे पड़ जाती है तो वह मोती बन जाती है। सीप यह बात जानती है, अतः वह स्वाति नक्षत्र के चमकते ही जल की सतह पर आ जाती है और मूल्यवान वर्षा की प्रतीक्षा करती रहती है। जैसे ही कोई बूँद मुख मे प्रवेश करती है तुरंत वह सीप अपना मुँह बंद कर लेती है। पश्चात डुबकी लगाकर समुन्दर मे तल पर पहुंच जाती है। वहा वह धैर्यपूर्वक बून्द को मोती  का रूप देती है। इसलिए मोती के सीप समान बनो।

          हमें भी ऐसे ही बनना है। पहले सुनो, फिर मनन करो और बाहर की प्रभावों को बंद कर के अपनी अंतर्मन की सुनो। धैर्यपूर्वक अपने विचार प्रकट करो। 

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Be Patient, Good things will come to those who wait.”

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