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तरला दलाल का जन्म महाराष्ट्र के पुणे में हुआ था। तरला को बचपन से ही कुकिंग का शौक था। 12 साल की उम्र से ही उन्होंने खाना बनाने में मां की मदद करनी शुरू कर दी थी। 1956 में तरला दलाल ने कॉलेज से बीए इक्नॉमिक्स की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद 1960 में तरला दलाल की शादी नलिन दलाल से हो गई, जो उस वक्त अमेरिका में कैमिकल इंजनियरिंग कर रहे थे।
शादी के बाद तरला दलाल पति के साथ अमेरिका चली गईं। तरला इंडियन फूड की शौकीन थीं लेकिन विदेश में उन्हें इसमें दिक्कत हो रही थी। तब पति नलिन दलाल के कहने पर तरला दलाल ने उन्हें अलग-अलग डिश बनाने के लिए मोटिवेट किया। तरला दलाल ने अलग-अलग किताबें पढ़ना और फिर रोजाना 2-3 रेसीपी ट्राई करने लगीं। 9-10 साल की कड़ी मेहनत के बाद तरला दलाल एक से बढ़कर एक डिश बनाने लगीं। उनकी डिशेज हर किसी को पसंद आतीं।
जिसके बाद अपने शौक को दिशा देने के लिए वो अपने पड़ोस की महिलाओं को कुकिंग की क्लास देती थीं। जिसमे वो थाई, मैक्सिकन, इटैलियन जैसी डिश को बनाना सिखाती थीं। उनके खाना बनाने के अंदाज को लोगों ने बहुत पसंद किया। और लोग उनकी क्लास में कुकिंग सीखने ज्यादा मात्रा में आने लगे। लोगों को तरला दलाल की कुकिंग का तरीका और रेसिपी काफी पसंद आती थी।
उनकी लोकप्रियता से प्रेरित होकर मशहूर प्रकाशक वकील एंड संस ने उनकी कुकबुक प्रकाशित की। जिसका नाम था 'द प्लेजर ऑफ वेजिटेरियन कुकिंग'। इस किताब का कई भाषा में अनुवाद किया गया। जिसमे हिंदी, गुजराती, मराठी, बंगाली के साथ ही डच और रूसी जैसी विदेशी भाषा भी शामिल थीं। तरला दलाल ने करीब 170 किताबें लिखी हैं। कुकिंग में बेहतरीन काम करने की वजह से वो पद्मश्री से सम्मानित होने वाली एकमात्र भारतीय हैं। तरला दलाल ने अपने 17 हजार व्यंजनों की एक वेबसाइट भी लांच की थी। जिसमे देसी से लेकर अंतरराष्ट्रीय व्यंजनों की शाकाहारी रेसिपी शामिल है। tarladalal.com तरला दलाल द्वारा शुरू की गई देश की सबसे बड़ी फूड वेबसाइट है।
तरला दलाल अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनके परिवार ने विरासत संभाली हुई है। तरला दलाल का 6 नवंबर 2013 को हार्ट अटैक के कारण निधन हो गया। वह परिवार के साथ साउथ मुंबई में नेपियन सी रोड पर रहती थीं। तरला दलाल के तीन बच्चे हैं- बेटा संजय और दीपक और बेटी रेनू। तरला के पति नलिन दलाल का 2005 मे ही निधन हो गया था।
अब आप तरला दलाल की जिंदगी और सफलता की कहानी स्क्रीन भी देख सकते हो। पाक कला विशेषज्ञ के रूप में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित होने वाली महिला शेफ तरला दलाल की इस यात्रा में हुमा कुरैशी के अभिनय के कई पड़ाव देखने को मिलते हैं। ‘तरला’ इस मायने में बिल्कुल देसी है। फिल्म ‘तरला’ उस दौर की कहानी है जब मास्टर शेफ जैसी सीरीज का किसी ने नाम भी नहीं सुना था और कोई महिला टेलीविजन पर आकर लोगों को खाना बनाना सिखाएगी, इस बारे में तो सोचना ही सपने देखना जैसी बात थी। लेकिन, तरला के शेफ तरला दलाल बनने की कहानी इन लाइनों को पढ़ने से भी ज्यादा दिलचस्प है।
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