क्या आप कम काम करने के बाद भी हमेशा थका-थका महसूस करते हैं? क्या आपको हमेशा अपने दिमाग पर भारीपन लगता है? तो अगर आपका जवाब हां हैं, तो इनकी वजह आपकी ओवरथिंकिंग की आदत हो सकती है। Overthinking का मतलब ''छोटी से बात पे बहोत अधिक सोचना''।
आधुनिक युग में हमेशा फिजुल की बातें सोचते रहने की आदत बढ़ती जा रही है। यह आदत कब बीमारी बन जाती है, किसी को पता भी नहीं चलता। अगर आप भी हमेशा सोचते रहते हैं, तो आपको इन बातों पर गौर करके इसे दूर करने की कोशिश करनी चाहिए- How To Stop Overthinking ? ज्यादा सोचना कैसे बंद करें? ये हम आज देखनेवाले है, लेकिन इससे पहले हम देखेंगे > हम ज्यादा क्यों सोचने लगे है ?
Causes Of Overthinking
आजकल भागदौड़ भरी ज़िन्दगी मे हम सब काफी व्यस्त होते जा रहे है। व्यस्त होने की वजह से हम ज्यादा सोचते भी जा रहे है और यही अधिक सोचना हम सब के लिए घातक बनते जा रहा है। और तरह तरह के नुकसान हमारे होते जा रहे है।
आजकल लोगों पे वर्कलोड बहोत बढ़ गया है। महंगाई की मार ने हमें ज्यादा काम करने पे मजबूर कर दिया है। आजकल १० मे से ८ लोग ओवरटाइम काम करते दिखाई देते है। इसलिए काम का प्रेशर भी बढ़ गया, साथ साथ आदमी ज्यादा सोचने पे विवश हो गया है।
समाज मे देखा जाये तो सबको पीछे छोड़के आगे निकलनेकी होड़ लगी हुई है। जैसे की मानो, रेस मे घोडा दौड़ाया जा रहा है, और उस रेस मे दूसरे क्रमांक पे किसी को भी नहीं आना है। ये प्रथम क्रमांक पे आने की ज़िद ने लोगों को ज्यादा सोचने पे मजबूर किया है।
काम से मिलनेवाला प्रेशर, अधिक कमाने की प्रबल इच्छा, कम समय मे सफलता प्राप्त करने की चाहत, अच्छी नौकरी की तलाश, काम के साथ पढाई का प्रेशर ने हमें जरुरत से ज्यादा सोचने पे मजबूर कर लिया है। अधिक सोचने से हमारा नुकसान हो रहा है, इस बात को भी हम नज़रअंदाज़ कर सिर्फ आगे बढ़ते जा रहे है और तनाव भरी ज़िन्दगी जी रहे है।
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अधिक सोचने से क्या क्या नुकसान होते है?
जीवन में उतार चढ़ाव तो लगे रहते हैं, मगर कुछ लोगों को अपनी जिंदगी से ढेरों शिकायतें होती हैं। उनको अपनी जिम्मेदारियां बोझ लगने लगती हैं और इनके दबाव में वे अपने अंदर के उत्साह, उमंगों को मरता महसूस करते हैं और हमेशा विचारों में डूबे रहते हैं तो लगातार सोचते रहने के कारण आप ओवर थिंकिंग की समस्या के शिकार हो सकते हैं। ऐसे में हमेशा किसी सोच में डूबे रहना भी आपको बीमार कर सकता है। क्या आप ओवर थिंकिंग (Overthinking) के शिकार है ? चलो Symptoms Of Overthinking देखते है।
Symptoms Of Overthinking
> नकारत्मक सोच हम पे हावी हो जाती है।
> फालतू बातों पे ज्यादा सोचने लगते है , जिसका कोई वजूद ही नहीं है।
> हमें भूलने की आदत लग जाती है।
> हम जरुरत से ज्यादा चीड़-चिड़े बन जाते है।
> हमारा सिरदर्द हमेशा बना रहता है एवं भूक कम लगती है या फिर हम खाते ही रहते है।
> हम रिश्ते संभाल नहीं पाते, हमारे रिलेशन ख़राब हो जाते है।
> किसी भी गलत बात के लिए हम खुद को दोषी ही ठहराने लगते है।
> छोटी छोटी बातों को हम दिल पे ले लेते है और खुद को माफ़ नहीं कर पाते।
Overthinking Quotes ओवरथिंकिंग क्वोट्स आप यहां पढ़ सकते हो।
अगर ये लक्षण आप मे दिखाई देते है तो आप Overthinking के शिकारी है लेकिन घबराएगा नहीं, हर समस्या अपने साथ समाधान लेकर आती है। आज हम यही How To Stop Overthinking ? ज्यादा सोचना कैसे बंद करें? ये देखनेवाले है।
How To Stop Overthinking ?
ज्यादा सोचना कैसे बंद करें?
किसी भी बात पे हम जल्दी प्रतिकिया देते है। बहोत बार ऐसा होता है की कुछ बातें हमें असह्य हो जाती है, हम बर्दाश्त नहीं कर पाते और हम जरुरत से ज्यादा React कर देते है। अगर आपके साथ भी ऐसा होता है तो यकीन मानिए, आपके पास बहोत अच्छा दिल है और ऐसा कर के आप आपके दिल को तकलीफ दे रहे हो। अगर आप ये आर्टिकल पढ़ रहे हो तो मुझे ख़ुशी है की मै ऐसे लोगों से जुडी हु, जो बहोत अच्छा दिल रखते है। चलो, ज्यादा समय न लेते हुए How To Stop Overthinking ? देखते है।
> वर्तमान मे जिये।
सबसे महत्वपूर्ण बात ये की हम वर्तमान मे जीना सीखे। बहोत बार ऐसा होता है की कुछ अप्रिय घटना हो जाती है और हम उसे भुला नहीं पाते। समय तो निकलते जाता है लेकिन अप्रिय बातें, घटनाए हम भुलाए नहीं भूलते। लेकिन वक़्त के साथ आगे बढ़ने मे ही समझदारी है।
> समस्या सांझा करे।
आपकी समस्या जो भी हो उसे अपने किसी करीबी के साथ बयां करे। बात करेंगे तो समस्या का हल मिलेगा। मन हल्का और निरोगी रहेगा। किसी व्यक्ति से शिकायत है तो समक्ष जा के बात करे, पता चला आप जो सोच रहे हो वो आपकी ग़लतफ़हमी हो। इसलिए समस्या आपके मन मे घर बनाले उसके पहले ही उसका समाधान करे।
> व्यस्त रहे।
सबसे अच्छा सुझाव ये हो सकता है। अपने आप मे व्यस्त रहे एवं मस्त रहे। जो आपको अच्छा लगता है वो कीजिये। चाहे वो संगीत सुनना हो, चाहे वो किताब पढ़ना हो या लॉन्ग ड्राइव पे जाना हो, कुछ भी हो सकता है जो आपको अच्छा लगे। क्योंकी जब आप आपकी मनपसंत बात करेंगे तो सब अच्छा लगने लगेगा। अलग ऊर्जा का आपमे संचार होगा एवं अलग ही स्पूर्ति आपमे दिखाई देगी। सबसे महत्वपूर्ण बात, आप व्यस्त रहेंगे तो आप फालतू बातें सोचेंगे भी नहीं।
> एकालाप ना करे।
जब हम ज्यादा सोचते है तब खुद से ही बात करने लगते है, इसे एकालाप कहते है। जब दिमाग मे अनेक विचार होते है तब ऐसा होता है। अनेक विचार आपके दिमाग मे दौड़ते हो तो आप डायरी मे लिखकर एकालाप से बच सकते हो या ध्यानसाधना/Mediation सबसे अच्छा उपाय है।
> खुद को माफ़ करना सीखे।
बात जब दूसरों की आतीं है तब हम जल्दी ही माफ़ कर देते है लेकिन बात जब खुद पे आये तब हम कठोर हों जाते है। किसी भी गलती का ज़िम्मेदार खुद को ठहराते है और उसी बात को दोहराते रहते है इसलिए हमारी तबियत पर असर होता है इसलिए सर्वप्रथम खुद को माफ़ करे और आगे बढे।
> बदल स्वीकार करे।
परिवर्तन संसार का नियम है इसलिए न रुकते हुए आगे बढ़ना है। जो बदल है उसे स्वीकार करना है। वक़्त के साथ आगे बढ़ना है। किसी के लिए वक़्त रुकता नहीं है, रफ़्तार से आगे बढ़ता ही है। चाहे समय अच्छा हो या बुरा गुजर ही जाता है इसलिए हसते हुए नए बातों को स्वीकार करे और आगे बढ़ते रहे।
> दिमाग शांत रखे।
किसी बात पे आपको गुस्सा आ रहा है तो मन मे ही १ से १० तक गिनती कीजिये और ज्यादा गुस्सा आ रहा हो तो १०० तक गिनती कीजिये। आपका गुस्सा छू मंतर हो जायेगा। दिमाग को शांत रखने के लिए ये तरीका लाजवाब है।
> सोचना थोड़ा कम करे।
हम किसी बात को लेकर जल्दी ही भावुक हो जाते है और यही हमें ज्यादा सोचने पे विवेश कर देता है। अब आप कहेंगे, सोचेंगे नहीं तो काम कैसे होंगे ? आप विचार विमर्श कर के जरूर सोचे लेकिन एक की बात को ज्यादा सोचना कम करे। अगर कोई बात हद से बाहर जा रही है तो आखिर '' जो होगा वो देखा जायेगा''। ये दृष्टिकोण भी हमें ज्यादा नहीं सोचने देगा और परिणाम भी हमें मनचाहा मिलेगा।
> नकारात्मक लोगों से दूर रहे।
मैंने पहले भी कहा था, नकारात्मक लोगों के बिच मे रहने से Negative Vibes मिलते है, इससे ज्यादा कुछ भी नहीं। इसलिए हम जहा भी रहे, एक बात सुनिश्चित करना जरुरी है, हमें यहां अच्छे विचार मिलेंगे ? हमें Positive Vibes मिलेंगे ? अगर जवाब हा है तो जरूर आगे बढ़िए, नहीं तो कदम पीछे लेने मे ही अक्लमंदी एवं समझदारी है।
ये तरीके आप अपनाऐंगे तो ज़रूर ज्यादा सोचने से बच सकते है एवं ज्यादा सोचने के आप शिकारी हो चुके हो तो निश्चित रूप से आप बाहर आ सकते हो। आपको ये तरीके कैसे लगे ? जरूर बताइए। या फिर आपके पास कोई तरीका हो तो कमेंट बॉक्स मे ज़रूर लिखे।
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