वेब पितामह टिम बर्नर्स ली की जीवनी


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          WWW यानी वर्ल्ड वाइड वेब के जनक टिम बर्नर्स ली का जन्म 8 जून 1955 को इंग्लैंड में हुआ था। टिम ने क्वींस कॉलेज, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से शिक्षा ग्रहण की थी। इस दौरान उन्होंने अपने दोस्त के साथ मिलकर कई सिस्टम हैक किए थे, जिसके बाद उनके कॉलेज के कम्प्यूटर इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इसके बावजूद टिम ने टेलीविजन, एक मोटोरोला माइक्रो-प्रोसेसर और सोल्डरिंग आयरन से खुद ही कम्प्यूटर तैयार किया था। 1976 में, उन्होने विश्विद्यालय से भौतिक शास्त्र में डिग्री प्राप्त की। आज हम आपको कुछ ऐसी ही दिलचस्प बातें बताएंगे, जिनके बारे में आप शायद ही जानते होंगे। 

          टिम बर्नर्स ली के माता-पिता गणित के विशेषज्ञ थे, इसलिए उन्होंने टिम को भी गणित का एक्सपर्ट बना दिया था। कहा जाता है कि टिम के माता-पिता ने उनको खाने की मेज तक का गणित समझाया था।

          टिम बर्नर्स ली ने सन 1989 में इंफॉरमेशन मैनेजमेंट- ए प्रपोजल′ नाम से रिसर्च पेपर लिखा था। इसमें उन्होंने हाइपरटेक्स्ट और इंटरनेट को एक साथ जोड़ दिया। इससे सर्न का कम्यूनिकेशन सिस्टम बेहतर बनाने में मदद मिली थी। मगर टिम का सोचना था कि इस सिस्टम का इस्तेमाल पूरी दुनिया में किया जा सकता है। इसके बाद टिम ने सन 1994 में वेब संघ की स्थापना की थी। 

          टिम बर्नर्स ली ने 1991 में पहली वेबसाइट http://info.cern.ch लॉन्च की। इस पर वर्ल्ड वाइड वेब कांसेप्ट के बारे में पूरी जानकारी दी गई थी, जिससे कोई भी यूजर अपनी वेबसाइट शुरू कर सकता था। टिन बर्नर्स ली को HTML, URL, HTTP जैसी तकनीकों के फंडामेंटल लिखने का श्रेय भी जाता है।

           साल 2004 में टिम बर्नर्स को ब्रिटेन की महारानी ने नाइटहुड की उपाधि दी थी। उन्होंने नाइटहुड सम्मान लेते हुए कहा कि ये सम्मान इस बात की पहचान है कि इंटरनेट कितना ताक़तवर बन गया है। इसके बाद 2007 में टिम को ऑर्डर ऑफ मेरिट का सम्मान भी मिला था। वहीं, टिम बर्नर्स का नाम दुनिया 100 महान वैज्ञानिकों की सूची में शामिल है।

            सर टिम बर्नर्स ली ने 10 साल पहले इंटरनेट पर अलग-अलग वेबसाइटों को देखने की सुविधा निकाली जिसके कारण वेब जगत में उन्हें "वेब पितामह" कहा जाता है। फिर जब वे स्विटज़रलैंड की राजधानी जिनेवा में कर्न फ़िज़िक्स इंस्टीट्यूट में थे तो उन्होंने वह हाइपरटेक्स्ट प्रोग्राम तैयार किया जिसने नेट दुनिया में क्रांति ला दी। इस प्रोग्राम को 90 के दशक की शुरूआत में वर्ल्ड वाइड वेब यानी WWW का नाम दिया गया। 

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          सर टिम ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के एक सम्मेलन में फिर उस कंप्यूटर पर काम किया जिसपर उन्होंने अपना क्रांतिकारी आविष्कार किया था। उन्होंने कहा,"एक समय था जब लोग इंटरनेट को दूसरी दुनिया की चीज़ समझते थे मगर अब लोग ये महसूस करने लगे हैं कि ये एक ऐसी चीज़ है जिसे हम इसी दुनिया में इस्तेमाल करते हैं"। 

           आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको वेब पितामह टिम बर्नर्स ली की जीवनी से जुड़ी पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य नए आर्टिकल्स पढ़ने के लिए  https://www.shrutimundada.com/  {Yutis Desk} के साथ बने रहें।  

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