Happy Guru Purnima

         

            गुरु तथा देवता में समानता के लिए एक श्लोक के अनुसार - 'यस्य देवे परा भक्तिर्यथा देवे तथा गुरु' अर्थात् जैसी भक्ति की आवश्यकता देवता के लिए है वैसी ही गुरु के लिए भी। बल्कि सद्गुरु की कृपा से ईश्वर का साक्षात्कार भी संभव है। गुरु की कृपा के अभाव में कुछ भी संभव नहीं है।

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु र्गुरुदेवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥

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          अपनी महत्ता के कारण गुरु को ईश्वर से भी ऊंचा पद दिया गया है। शास्त्र वाक्य में ही गुरु को ही ईश्वर के विभिन्न रूपों- ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश्वर के रूप में स्वीकार किया गया है। गुरु को ब्रह्मा कहा गया क्योंकि वह शिष्य को बनाता है नव जन्म देता है। गुरु विष्णु भी है क्योंकि वह शिष्य की रक्षा करता है। गुरु साक्षात महेश्वर भी है क्योंकि वह शिष्य के सभी दोषों का संहार भी करता है।

          संत कबीर कहते हैं- 'हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहिं ठौर॥' अर्थात् भगवान के रूठने पर तो गुरु की शरण रक्षा कर सकती है किंतु गुरु के रूठने पर कहीं भी शरण मिलना संभव नहीं है। जिसे ब्राह्मणों ने आचार्य, बौद्धों ने कल्याणमित्र, जैनों ने तीर्थंकर और मुनि, नाथों तथा वैष्णव संतों और बौद्ध सिद्धों ने उपास्य सद्गुरु कहा है उस श्री गुरु से उपनिषद् की तीनों अग्नियां भी थर-थर कांपती हैं। त्रैलोक्यपति भी गुरु का गुणनान करते है। ऐसे गुरु के रूठने पर कहीं भी ठौर नहीं। 

       अपने दूसरे दोहे में कबीरदास जी कहते है- 'सतगुरु की महिमा अनंत, अनंत किया उपकार लोचन अनंत, अनंत दिखावण हार' अर्थात् सद्गुरु की महिमा अपरंपार है। उन्होंने शिष्य पर अनंत उपकार किए है। उसने विषय-वासनाओं से बंद शिष्य की बंद आंखों को ज्ञान चक्षु द्वारा खोलकर उसे शांत ही नहीं अनंत तत्व ब्रह्म का दर्शन भी कराया है। अतः सद्गुरु की महिमा तो ब्रह्मा, विष्णु और महेश भी गाते है, मुझ मनुष्य की बिसात क्या?

दुनिया के समस्त गुरुओं को मेरा कोटी कोटी नमन।


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          गुरुपूर्णिमा एक ऐसा त्योहार है जो हमारे गुरुओं को समर्पित है। एक गुरु न केवल हमें सिखाता है और ज्ञान देता है बल्कि हमारे जीवन को जीने का सही मार्ग भी दिखाता है। वह व्यक्ति है जो हमें खुद को प्रबुद्ध करने में मदद करता है और एक समृद्ध जीवन जीने के लिए मार्गदर्शन करता है।


Frequently Asked questions:-

गुरु पूर्णिमा क्या है?  What is Guru Purnima?

         गुरु पूर्णिमा हिंदुओं, जैनियों और बौद्धों का एक अनुष्ठान या त्योहार है जिसे समर्पण के रूप में मनाया जाता है, जो आध्यात्मिक, शैक्षणिक या सांस्कृतिक गुरु हो सकते हैं, शिक्षकों / गुरुओं के प्रति सम्मान और कृतज्ञता दिखाते हैं। जैन, बौद्ध और विशेष रूप से हिंदुओं जैसे विभिन्न धर्मों के दिलों में गुरुओं या शिक्षकों का एक विशेष स्थान है। शिक्षकों की तुलना भगवान से की जाती है और उन्हें भगवान की तरह पूजा जाता है।

गुरु पूर्णिमा कब मनाई जाती है?  When is Guru Purnima celebrated?

          गुरु पूर्णिमा ज्यादातर आध्यात्मिक गुरुओं के लिए मनाई जाती है लेकिन अन्य क्षेत्रों के गुरुओं की उपेक्षा नहीं की जाती है। कई बार, आध्यात्मिक गुरुओं को मनुष्य और ईश्वर के बीच की कड़ी के रूप में माना जाता है। आषाढ़ के हिंदू महीने में पूर्णिमा के दिन को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है।

क्यों मनाई जाती है गुरुपूर्णिमा?  Why is Guru Purnima celebrated?

           यह एक ऐसा त्योहार है जो महान ऋषि महर्षि वेद व्यास की स्मृति में मनाया जाता है। इस महान संत ने चारों वेदों का संपादन किया। उन्होंने अठारह पुराण, महाभारत और श्रीमद्भागवत गीता भी लिखी। हिंदू पौराणिक कथाओं के दत्तात्रेय (दत्त गुरु), जिन्हें गुरुओं का गुरु माना जाता है, महर्षि वेद व्यास के शिष्य (छात्र) के लिए जाने जाते हैं। इस शुभ दिन पर, आध्यात्मिक भक्त और आकांक्षी महर्षि व्यास की पूजा करते हैं और शिष्य अपने संबंधित आध्यात्मिक पूजा करते हैं गुरुदेव।

 गुरु पूर्णिमा का क्या महत्व है?  What is the importance of  Guru Purnima?

          गुरुपौर्णिमा के दिन विशेष रूप से किसानों के लिए एक अच्छा दिन माना जाता है क्योंकि वे अपनी फसलों के बढ़ने के लिए भारी बारिश की प्रतीक्षा करते हैं। चार महीने की अवधि (चातुर्मास) इस दिन शुरू होती है और आध्यात्मिक साधक इस दिन अपनी साधना (अभ्यास) को तेज करना शुरू करते हैं।

गुरुपूर्णिमा की शुभकामनाएं    wishes Guru Purnima 

           गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं ये कहावत तो आपने जरूर सुनी होगी कहते हैं ना गुरु बिन ज्ञान नहीं, गुरु बिना मोक्ष नहीं। अर्थात गुरु के बिना संसार में कोई भी व्यक्ति ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकता। 


करता करे ना कर सके, गुरु करे सब होय,
सात द्वीप नौ खंड में गुरु से बड़ा न कोय,
मैं तो सात समुद्र की मसीह करु, लेखनी सब बदराय,
सब धरती कागज करु पर, गुरु गुण लिखा ना जाय।  

गुरु पूर्णिमा की हार्दिक बधाई। 

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