राष्ट्रीय टेक्नोलॉजी दिवस /
National Technology Day /
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस
हमारी दिन की शुरुवात ही टेक्नोलॉजी के अविष्कार के साथ होती है। हर समय हमें टेक्नोलॉजी ने हर तरफ से घेर रखा है, हमारी हर जरुरत को पूरा करने में टेक्नोलॉजी हमारी मदद करती है। इतना ही नहीं काफी हद तक इंसान टेक्नोलॉजी पर निर्भर होता जा रहा है। क्योंकि टेक्नोलॉजी के अविष्कार ने हमारे हर काम को बेहतर और आसान बनाया है।
अब अगर टेक्नोलॉजी ही ना हो तो हमें दूरसंचार, मेडिकल, शिक्षा एवं व्यापार करने में बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। आसान शब्दों कहा जाय तो किसी देश या देश के नागरिकों को विकास करने के लिए टेक्नोलॉजी की बहुत ज्यादा जरुरत है। इसलिए कुछ सालों से भारत अपनी टेक्नोलॉजी को एक उच्च स्तर पर पहुंचाने में लगा हुआ है। इसके साथ-साथ भारत का केंद्रीय मंत्रालय टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने के लिए नेशनल टेक्नोलॉजी डे (राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस) मनाते है।
क्यों मनाया जाता है National Technology Day /
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस ?
11 मई 1998 को भारत ने परमाणु परीक्षण किया था। पोखरण, राजस्थान में कुल 5 परीक्षण हुए थे, जिसमें से तीन 11 मई को किए गए एवं दो 13 मई को किए गए। 11 मई को आयोजित परीक्षण में 5.3 रिक्टर पैमाने पर भूकंपीय कंपन दर्ज करते हुए तीन परमाणु बम विस्फोट किए गए, तभी से भारत में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाने की शुरुआत हुई।
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाने के पीछे उद्देश्य
(National Technology day objectives)
> पोखरण परमाणु बम के सफल परीक्षण को याद करना -
पहले परमाणु बम का परीक्षण पोखरण में हुआ था और इसमें भारत को सफलता भी मिली थी। इसके पश्चात भारत के प्रधानमंत्री ने गर्व पूर्वक अपनी सफलता का गुणगान करते हुए कहा था कि भारत अब एक परमाणु शक्ति बन चुका है। उन्होंने उस समय ये भी कहा था कि भारत नॉन प्रॉलिफरेशन एग्रीमेंट ऑफ न्यूक्लियर वेपन (परमाणु अप्रसार संधि) पर हस्ताक्षर नहीं करेगा। भारत को मिलने वाली इस महान उपलब्धि के जश्न के रूप में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाते है।
> त्रिशूल मिसाइल की सफलता -
भारत की सेना एवं सुरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में त्रिशूल मिसाइल को आधार माना जाता है। 11 मई 1998 के दिन परमाणु बमों के अलावा भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने कम दूरी पर जल्दी हमला करने वाली मिसाइल का सफल परीक्षण किया था। जमीन से हवा में मार करने वाली इस मिसाइल को त्रिशूल नाम से पुकारा गया था।
> हंसा-3 का सफल परीक्षण -
मई 1998 को ही एक और सफलता भारत के हाथ लगी थी, हंसा-3 भारत का एयरक्राफ्ट वायु सेना में प्रशिक्षण के लिए शामिल हुआ था। 11 मई को ही हंसा-3 को बैंगलुरु की हवाई पट्टी से उड़ाया गया था।
> वैज्ञानिकों को सम्मान देना -
भारत के जितने भी वैज्ञानिकों ने देश के लिए अपना उत्कृष्ट योगदान दिया है, इस दिन उनको याद किया जाता है। इस दिन का सभी नए एवं पुराने वैज्ञानिकों को लाइम लाइट में लाया जाता है, जिससे भारत की युवा पीढ़ी को टेक्नोलॉजी की तरफ प्रोत्साहित किया जा सके।
> नये रिसर्च सेंटर या प्लेटफॉर्म देना -
भारत में इस दिन युवाओं को प्रोत्साहन के साथ-साथ अपने टेक्निकल आईडिया को सबके सामने लाने का प्लेटफार्म दिया जाता है। उसके बाद साइंटिस्ट एवं टेक्नॉलाजिस्ट आपस में तकनीक को विकसित करने के लिए अपने विचार साझा करते हैं। इस वजह से भारत को एक नई एवं भरोसेमंद तकनीक खोजने में आसानी हो जाती है।
कैसे मनाया जाता है National Technology Day/राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस ?
विश्व प्रौद्योगिकी दिवस को तकनीकी रचनात्मकता, वैज्ञानिक जांच और समाज, उद्योग और विज्ञान के एकीकरण में खोज का प्रतीक माना जाता है। इस विशेष दिन तकनीकी संस्थानों और इंजीनियरिंग कॉलेजों में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। क्विज कॉम्पिटिशन, व्याख्यान, विज्ञान प्रदर्शनियों और प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाता है। इस दिन भारत के राष्ट्रपति विज्ञान के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए व्यक्तियों और कंपनियों को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी पुरस्कार भी देते हैं।
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