महावीर स्वामी के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य Important Fact About Mahavir Swami

         

महावीर स्वामी के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य  Important Fact About Mahavir Swami

जैन समाज के 24वें तीर्थंकर - भगवान महावीर


          भगवान महावीर जैन समाज के 24वें तीर्थंकर थे। तीर्थंकर मतलब जो इंसान के रूप में महान आत्मा या भगवान जो कि अपने ध्यान और ईश्वर की तपस्या से भगवान बना हो। किसी भी जैन के लिए महावीर किसी भगवान से कम नहीं है उनके दर्शन करने को गीता के ज्ञान के समान माना गया है। 30 साल की उम्र में उन्होंने अपना घर त्यागकर लोगों के मन में आध्यात्मिक जागृति के लिए संन्यास ले लिया और अगले 12 वर्षों तक उन्होंने गहरा तप और ध्यान किया। तप से ज्ञान अर्जित कर लेने के बाद भगवान महावीर ने पूरे भारतवर्ष में अगले 30 सालों तक जैन धर्म का प्रचार एवं प्रसार किया। हमें अनमोल वचन देके जीने का सही मार्ग दिखाया।   

         आज हम यहां महावीर स्वामीजी के पंचशील तत्व, उनके नाम एवं जैन धर्म के 24 तीर्थकर के नाम एवं उनके प्रतिक देखनेवाले है और कुछ सवाल जवाब जो उनसे जुड़े है। लेकिन सबसे पहले हम महावीर स्वामी के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य / Important Fact About Mahavir Swami देखते है।  


महावीर स्वामी के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य  Important Fact About Mahavir Swami


महावीर स्वामी जी के बारे मे कुछ तथ्य और रोचक बाते -

> महावीर स्वामी  (Mahavir Swami) जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे , वे जैन धर्म के प्रवर्तक थे |

> इनका जन्म शुक्लपक्ष, चैत्र महीने के 13वें दिन 540 ईसीबी में कुंडलगामा, वैशाली जिला, बिहार में हुआ था।

> इनके पिता का नाम सिद्धार्थ था |

> इनकी माता का नाम त्रिशिला देवी था |

> इनके बचपन का नाम वर्धमान था |

> महावीर स्वामी के भाई नंदिवर्धन और बहन सुदर्शना थी |

> इनकी पत्नी का नाम यशोदा तथा पुत्री का नाम प्रियदर्शना था |

> इन्होंने 30 साल की उम्र में घर छोड़ दिया और दीक्षा लेने के बाद 12 साल तपस्या की।


महावीर स्वामी के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य  Important Fact About Mahavir Swami

> जैन धर्मियों का मानना है कि वर्धमान ने कठोर तप द्वारा अपनी समस्त इन्द्रियों पर विजय प्राप्त कर “जिन” अर्थात विजेता कहलाए। उनका यह कठिन तप पराक्रम के सामान माना गया, जिस कारण उनको महावीर कहा गया और उनके अनुयायी जैन कहलाए।

> महावीर स्वामी ने वैशाख शुक्ल 10 को बिहार में जृम्भिका गांव के पास ऋजुकूला नदी-तट पर स्थित साल वृक्ष ने नीचे कैवल्य ज्ञान प्राप्त किया था।

> महावीर स्वामी ज्ञातृ क्षत्रिय वंशीय नाथ थे |

> स्वामीजी ने अपने उपदेश खासकर प्राकृत भाषा में दिए थे |


भगवान महावीर स्वामी जी के पंच​शील सिद्धान्त

  1. सत्य – भगवान महावीर ने सत्य को महान बताया है। अच्छे इंसान को किसी भी हालत में सच का साथ नहीं छोड़ना चाहिए। 
  2. अहिंसा – दूसरों के प्रति हिंसा की भावना नहीं रखनी चाहिए। जो प्रेम हम खुद से करते हैं उतना प्रेम दूसरों से बनाए रखे। 
  3. अस्तेय – दूसरों की वस्तुओं को चुराना एव इच्छा करना महापाप है।
  4.  ब्रहृमचर्य –  जीवन में ब्रहमचर्य का पालन करना जरुरी है। उससे मनुष्य मोक्ष प्राप्त करता है।
  5.  अपरिग्रह – दुनिया नश्वर उसी लिए कोई भी चीजों के प्रति मो दु:खों को कारण है।

महावीर स्वामी के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य  Important Fact About Mahavir Swami

 Mahavir Swami के नाम

          महावीर स्वामीजी के कही नाम है जैसे की जिन, अहर्त तथा केवलिन। लेकिन क्या आप जानते है उनके पुरे नाम और उनके कारन ? घबराये नहीं। आज हम यहां Mahavir Swami के नाम और उसके कारन जानेंगे।  

  1. वर्धमान – बाल्यअवस्था का नाम। 
  2. केवलिन – ज्ञान प्राप्त होने से केवलिन की उपाधि मिली। 
  3. जिन – इंद्रियों को जीत लिया तो जिन कहलाए।
  4.  महावीर – घर त्यागने से वो महावीर कहलाये। 
  5.  निगण्ठ नाटपुत्त – यह बौद्ध साहित्य का वर्णित नाम है। 
  6. निर्ग्रन्थ - गृह त्याग और ज्ञान प्राप्ति के बिच निर्ग्रन्थ कहलाए। 
  7. अर्हत – लोगों के दुख एव समस्याओं को दूर करने से मिला।  


महावीर स्वामी के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य  Important Fact About Mahavir Swami


जैन धर्म के 24 तीर्थंकर

  • जैन धर्म के 24 तीर्थंकर हुए थे। ये सभी तीर्थंकर तथा उनके प्रतीक निम्नलिखित हैं -


1. ऋषभदेव (आदिनाथ) - वृषभ

2. अजितनाथ - गज

3. संभवनाथ - अश्व

4. अभिनंदन नाथ - कपि

5. सुमतिनाथ - क्रौंच

6. पद्मप्रभु - पद्म

7. सुपार्श्वनाथ - स्वास्तिक

8. चंद्रप्रभु - चंद्र

9. सुविधिनाथ - मकर

10. शीतलनाथ - श्रीवत्स

11. श्रेयांसनाथ - गैंडा

12. वसुपूज्य - महिष

13. विमलनाथ - वराह

14. अनंतनाथ - श्येन

15. धर्मनाथ - वजृ

16. शांतिनाथ - मृग

17. कुंथुनाथ - अज

18. अरनाथ - मीन

19. मल्लिनाथ - कलश

20. मुनिसुव्रत - कूर्म

21. नेमिनाथ - नीलोत्पल

22. अरिष्टनेमि - शंख

23. पार्श्वनाथ - सर्पफण

24. वर्धमान महावीर - सिंह


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1. महावीर के पिता का नाम क्या था?

> महाराजा सिद्धार्थ, जो एक क्षत्रिय कबीले के प्रमुख था।


2. महावीर की माँ का नाम क्या था?

> त्रिशला, जो एक लिच्छवी राजकुमारी थी।


3. महावीर का विवाह किससे हुआ था ?

> यशोदा


4. महावीर की बेटी का नाम क्या था?

> प्रियदर्शना


5. किस उम्र में महावीर ने कैवल्य प्राप्त किया?

> 42 वर्ष की आयु में उन्होंने अंततः पूर्ण ज्ञान प्राप्त किया और महावीर या जीन (विजेता) बन गए।


6. महावीर को ज्ञान की प्राप्ति कहाँ हुई?

> वैशाख शुक्ल दशमी को ऋजुबालुका नदी के किनारे साल वृक्ष के नीचे महावीर को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।


7. उनके अनुयायियों को जैन क्यों कहा जाता है?

> कैवल्य प्राप्त करने के बाद उन्हें जीन के रूप में जाना जाने लगा, इसलिए उनके अनुयायियों को जैन के रूप में जाना जाता है।


8. जैन धर्म में तीर्थंकर शब्द का क्या अर्थ है?

> जैन धर्म के संस्थापक और प्रचारक तीर्थंकर के रूप में जाने जाते हैं।


9. जैन धर्म में कितने तीर्थंकर जाने जाते हैं?

> 24 तीर्थंकर।


10. जैन धर्म में पहले तीर्थंकर कौन थे?

> ऋषभदेव


11. महावीर की पुत्री प्रियदर्शना का विवाह किसके साथ हुआ था?

> जमाली, उनके सबसे पसंदीदा शिष्य के साथ|


12. चौबीसवें और अंतिम तीर्थंकर कौन थे?

> वर्धमान महावीर


13. ‘निर्ग्रन्थ’ शब्द का क्या अर्थ है?

> सबसे पहले महावीर ने एक तपस्वी समूह की प्रथाओं का पालन किया जिसे निर्ग्रन्थ (इच्छा से मुक्त) कहा जाता है। 


14. निर्ग्रन्थों की स्थापना किसने की?

> पार्श्वनाथ 


15. जैन धर्म के महत्वपूर्ण सिद्धांतों को किसने रखा?

> पार्श्वनाथ 


16. जैन धर्म में त्रिरत्न क्या हैं?

> सम्यक्-दर्शन, सम्यक्-ज्ञान और सम्यक्-चारित्र अर्थात सही विश्वास, सही ज्ञान और सही आचरण।


17. जैन धर्म के पांच महाव्रत (महत्वपूर्ण सिद्धांत) क्या हैं?

> अहिंसा, सत्य, अस्तेय (चोरी न करना), अपरिग्रह (अपवित्र संपत्ति) और ब्रह्मचर्य।


18. जैन धर्म कितने सम्प्रदायों में विभाजित है?

> दो संप्रदाय- श्वेताम्बर और दिगंबर में।


19. श्वेताम्बर और दिगम्बर में क्या अंतर है?

श्वेताम्बर ने सफेद कपड़े पहने, जबकि दिगंबर अपने शरीर पर बिना किसी कपड़े के नग्न रहते थे।


20. महावीर ने किस भाषा में अपना पहला उपदेश दिया था?

> पाली


21. कर्नाटक में जैन धर्म के प्रचार का श्रेय किसको जाता है?

> चन्द्रगुप्त मौर्या


22. पहली जैन धर्म परिषद कहाँ आयोजित की गई थी?

> पाटलिपुत्र


23. दूसरी जैन धर्म परिषद कहाँ आयोजित की गई थी?

> वल्लभी – गुजरात।


24. जैन धर्म के धार्मिक ग्रंथ क्या हैं?

 > प्रमुख धार्मिक ग्रंथों को अंगास कहा जाता है जो प्राकृत भाषा में लिखे गए हैं। अन्य जैन धर्म के धार्मिक साहित्य भी अर्धमगही भाषा में लिखे गए थे।


25. युद्ध और कृषि दोनों जैन धर्म में निषिद्ध क्यों हैं?

> दोनों ही मामलों में जीवित प्राणियों की हत्याएं होती हैं।


26. किसानों और सैनिकों को जैन धर्म की ओर क्यों आकर्षित नहीं किया जा सकता है?

> जैन धर्म ने अहिंसा पर बहुत जोर दिया।


27. जैन धर्म में ईश्वर के अस्तित्व के बारे में क्या विचार है?

> महावीर ने ईश्वर के अस्तित्व को परिभाषित किया। 


28. महावीर ने किस सिद्धांत का परिचय दिया?

> ब्रह्मचर्य


29. महावीर स्वामी की मृत्यु कब हुई?

> 72 वर्ष (527 ईसा पूर्व) की उम्र में, भगवान महावीर की मृत्यु हो गई और उनकी पवित्र आत्मा ने शरीर छोड़ दिया और पूर्ण मुक्ति प्राप्त की। वह एक सिद्ध, एक शुद्ध चेतना, एक मुक्त आत्मा, पूर्ण आनंद की स्थिति में हमेशा के लिए चले गए । उनके उद्धार की रात, लोगों ने उनके सम्मान में प्रकाशोत्सव (दीपावली) मनाया।


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