Basant Panchmi Hindi Special - Importance, History & How it is celebrated across India


 Basant Panchmi Special


Basant Panchmi Special - Importance, History & How it is celebrated across India


          बसंत तो सारे विश्व में आता है लेकिन अपने भारत का बसंत कुछ विशेष है। भारत में बसंत केवल फागुन में आता है और फागुन केवल भारत में ही आता है। गोकुल एवं  बरसाने में फागुन का फाग, अयोध्या में गुलाल और खेतों में दूर-दूर तक लहराते सरसों के पीले-पीले फूल, केसरिया पुष्पों से लदे टेसू की झाड़ियां, होली की उमंग भरी मस्ती, जवां दिलों की गुदगुदाती मस्ती, फागुन की मस्त बहार, भारत और केवल भारत में ही दिखाई देती है। यहाँ तक कि भगवत गीता मे श्री कृष्ण भगवान ने कहा है कि "बसंत मेरें रूपों में से एक है" 

          विशेष रूप से उत्तर भारत में यह त्यौहार बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है। सभी लोग बढ़ी भक्तिभाव से माँ सरस्वती की पूजा करते हैं। बसंत पंचमी के दिन विद्या, बुद्धि और संगीत की देवी माँ सरस्वती का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन देवी सरस्वती की पूजा की जाती है।

         बसंत पंचमी का किसानों के जीवन में भी बहुत महत्त्व है। किसानों की मेहनत इस समय खेतों में हरा रंग ले आती है। इस समय सरसों के खेत खूबसूरत अंदाज में लहरातें हैं। सरसों के खेत पीले और हरे रंग की अद्भुत छवि प्रस्तुत करते हैं। जिनकी छठा देखते ही रहने का मन करता है। चना, गेहूं और जौ आदि की बालियाँ खेतों में खूबसूरत छठा बिखेरती हैं। 


Basant Panchmi Special - Importance, History & How it is celebrated across India


         हम सभी जानतें है कि हमारे देश भारत में 6 ऋतुएँ होती हैं जिनके नाम क्रमशः बसंत ऋतु , ग्रीष्म ऋतु , वर्षा ऋतु , शरद ऋतु , हेमन्त ऋतु और शिशिर ऋतु अर्थात पतझड़ हैं। बाकी ऋतु के तुलना से देखा जाये तो बसंत ऋतू में प्रकृति की सुंदरता जैसे सातवे आसमान पे होती है। बसंत ऋतू में सभी प्राणियों में एक नयी ऊर्जा का संचार होता है। सर्दियों के बाद सभी पेड़ पौधे, जीव जंतु, प्राणी एक नयी ऊर्जा से युक्त होते हैं। इस समय न अधिक सर्दी होती है और न ही अधिक गर्मी होती है। इसलिए बसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा भी कहा जाता है। मेरा प्रिय ऋतु बसंत है, आपका कौनसा है ? कमेंट मे जरुर बताएगा। 


बसंत पंचमी का महत्व

          पौराणिक कथाओं में प्रचलित एक कथा के अनुसार सृष्टि की रचना के समय भगवान ब्रह्मा ने जब समस्त संसार की रचना की तो उनको अपनी रचना में कुछ कमी सी लगी। भगवान ब्रह्मा को लगता था कि चारों तरफ एक प्रकार का मौन छाया रहता है। इसलिए भगवान ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से जल छिड़का, जिससे चार हाथों वाली दिव्य स्त्री प्रकट हुई। उस स्त्री के एक हाथ में वीणा, दूसरे में पुस्तक, तीसरे में माला और चौथा हाथ वर मुद्रा में था।


Basant Panchmi Special - Importance, History & How it is celebrated across India


      भगवान ब्रह्मा जी ने उस स्त्री से वीणा बजाने का अनुरोध किया। जैसे ही उस दिव्य स्त्री की वीणा का मधुर नाद हुआ, संसार के समस्त प्राणियों में वाणी का संचार हुआ, नदियों का जल कोलाहल करने लगा, हवाएं बहने लगी तब ब्रह्मा जी ने उस स्त्री को देवी सरस्वती के नाम से सम्बोधित किया। सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा और वीणावादिनी जैसे अनेक नामों से पूजा जाता है। माँ सरस्वती विद्या, बुद्धि और संगीत की देवी हैं। ब्रह्मा जी ने देवी सरस्वती की उत्पत्ति बसंत पंचमी को ही की थी, इसलिए हर वर्ष बसंत पंचमी को देवी सरस्वती का जन्म दिवस मनाया जाता है।

 ऋग्वेद में भगवती सरस्वती का वर्णन करते हुए कहा गया है-

प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वजिनीवती धीनामणित्रयवतु।

अर्थात् ये परम चेतना हैं। सरस्वती के रूप में ये हमारी बुद्धि, प्रज्ञा तथा मनोवृत्तियों की संरक्षिका हैं।

          बसंत पंचमी के पावन पर्व पर पावन नदियों में स्नान का भी महत्व है। अनेक पवित्र नदियों के तट तथा अनेक तीर्थ स्थानों में भी बसंत उत्सव का आयोजन किया जाता है।

           पीले रंग का इस दिन काफी महत्व होता है। बसंत का रंग होने के कारण पीले रंग को 'बसंती' रंग भी कहा जाता है। पीला रंग समृद्धि, प्रकाश, ऊर्जा एवं आशीर्वाद का प्रतीक है। इस कारण लोग बसंत पंचमी को पीले रंग के कपड़े पहनते हैं और पीले रंग में पारंपरिक व्यंजनों को बनाके आस्वाद लेते है और विद्यार्धी भी अपने अपने किताबो की पूजा करते है एवं माता सरस्वती को प्रार्थना करते है, उनपे हमेशा माता की कृपा बनी रहे।  


Basant Panchmi Special - Importance, History & How it is celebrated across India


          कवियों, लेखकों, गायकों एवं कलाकारों के लिए भी बसंत पंचमी का बड़ा महत्व है। सभी इस दिन अपने अपने उपकरणों की पूजा करते हैं और दिन की शुरुआत सरस्वती वंदना से करते हैं। 



Basant Panchmi Special - Importance, History & How it is celebrated across India



चलो, हम यहां सरस्वती वंदना भी देख लेते है। 


। माता सरस्वती वंदना।।  


या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता। 

या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥ 

या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता। 

सा माम् पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥1॥


शुक्लाम् ब्रह्मविचार सार परमाम् आद्यां जगद्व्यापिनीम्। 

वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌॥ 

हस्ते स्फटिकमालिकाम् विदधतीम् पद्मासने संस्थिताम्‌। 

वन्दे ताम् परमेश्वरीम् भगवतीम् बुद्धिप्रदाम् शारदाम्‌॥2॥


बसंत पंचमी को पूजा विधि कैसे करे ?

          बसंत पंचमी के दिन प्रथम स्नान आदि करके सर्वप्रथम मां सरस्वती की प्रतिमा या मूर्ति को स्नान कराकर पीले रंग के वस्त्र पहनाए। रोली, चंदन, हल्दी, केसर, चंदन, पीले या सफेद रंग के पुष्प, पीली मिठाई और अक्षत मां सरस्वती को श्रद्धापूर्वक चढ़ाये। पूजा के स्थान पर वाद्य यंत्र और किताबें रखें तथा माता की वंदना करें। पीले भोजन और पीली मिठाई का भोग मुख्य रूप से मां सरस्वती को अर्पित करें। साथ मे ही मां सरस्वती के मूल मंत्र “ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः” का जाप करें। 


Basant Panchmi Special - Importance, History & How it is celebrated across India


भारत के इन राज्यों में इस तरह से मनाई जाती है बसंत पंचमी


उत्तरकाशी

          हिमालय के उत्तरकाशी प्रदेश में इस दिन लोग घर के दरवाजे के बाहर पीले रंग के फूल [तोरण] लगाते है। बड़ी धूमधाम से माता सरस्वती का आगमन करते है, इसके साथ ही वो पीले कपड़े परिधान कर विधि विधान के साथ पूजन करते है एवं रात भर भजन कीर्तन का आयोजन करते है। पीला मिठाईयों का भोग लगाकर प्रसाद बांटते है। 


Basant Panchmi Special - Importance, History & How it is celebrated across India


पंजाब और हरियाणा

          पंजाब एवं हरियाणा मे बसंत पंचमी में पंतग उड़ाई जाती है। इस दिन महिलाए लोकगीत पर नृत्य करती है एवं पतंगबाजी करती है। यहां बसंत पंचमी का त्यौहार बिना पतंग उड़ाए अधूरा माना जाता है। यहाँ बिनज चावल, [केसरिया मीठे चावल] मक्के की रोटी, सरसों का साग भोग लगाया जाता है।   


Basant Panchmi Special - Importance, History & How it is celebrated across India


राजस्थान और उत्तर प्रदेश

          राजस्थान एवं उत्तरप्रदेश मे बसंत पंचमी के दिन पीला रंग शुभ एवं पवित्र माना जाता है। बसंत पंचमी के दिन विद्यालयों मे माता सरस्वती के प्रतिमा की पूजा की जाती है तथा माँ सरस्वती से जुड़े पौराणिक कथाओपे नाटिका भी देखने को मिलती है। इस दिन घरों मे पारंपरिक भोजन का आनंद लिया जाता है। 


Basant Panchmi Special - Importance, History & How it is celebrated across India


बिहार 

          बिहारी लोग इस दिन स्नान करके पीले कपड़े पहन कर माथे पर हल्दी लगाते है। इसके बाद यहां के लोग देवी का उत्सव ढोल नगाड़ों के साथ मनाते है। यहां माल पुआ, खीर और बूंदी माँ सरस्वती को अर्पित करते हैं।   


Basant Panchmi Special - Importance, History & How it is celebrated across India


पश्चिम बंगाल 

          यहां काफी दिन पहले से पंडाल लगाए जाते है। माता सरस्वती की मूर्ति स्थापित कर सबके लिए पूजा एवं प्रसाद का भी आयोजन यहां किया जाता है। सांस्कृतिक कार्येक्रम के साथ साथ बच्चों को माता सरस्वती के आशीर्वाद रूप किताबे, कलम, नोटबुक, पेन, पेंसिल दी जाती है। यहां माँ सरस्वती को बूंदी के लड्डू और मीठे चावल अर्पित किये जाते हैं। 


Basant Panchmi Special - Importance, History & How it is celebrated across India


आपको ये आर्टिकल कैसा लगा ? और आप बसंत पंचमी कैसे मनाते हो एवं किस पकवान का आनंद लेते हो ? कमेंट मे जरूर बताइए। 


Basant Panchmi Good Wishes


Wishing you Happiness Good fortune Success Peace & Progress on the occassion of Basant Panchami.


Basant Panchmi Hindi Special - Importance, History & How it is celebrated across India


May Goddess Sharada Bless You With The Ocean Of Knowledge Which Never Ends..


Basant Panchmi Hindi Special - Importance, History & How it is celebrated across India


बहारों में बहार बसंत 

मीठा मौसम मीठी उमंग

 रंग बिरंगी उड़ती आकाश में पतंग

 तुम साथ हो तो है इस ज़िंदगी का और ही रंग 


Basant Panchmi Hindi Special - Importance, History & How it is celebrated across India



तू स्वर की दाता हैं, 

तू ही वर्णों की ज्ञाता.

तुझमे ही नवाते शीष, 

हे वीणावादिनी मैया दे अपना आशीष.

Basant Panchmi Hindi Special - Importance, History & How it is celebrated across India



अगर आप रोज मोटिवेशनल कोट्स पढ़ना चाहते हो यहां क्लिक करे। 

PINTEREST  FACEBOOK  INSTAGRAM  TWITTER

Post a Comment

0 Comments