जब दवा काम न आये तब नजर उतारती हैं,
ये माँ हैं साहब... हार कहाँ मानती हैं।
माँ का विश्वास और प्रेम अपनी संतान के लिए इतना गहरा और अटूट होता है कि माँ अपने बच्चे की खुशी के खातिर सारी दुनिया से लड़ सकती है। वो एक अकेली बहुत होती है बुरी नजरों और दुनिया के स्वार्थ से अपनी औलाद को बचाने के लिए।
इतिहास से लेकर वर्तमान तक माँ की ममता के अंसख्यों किस्से गवाही देते हैं कि माँ का प्यार औलाद के लिए सबसे लड़ जाने और जान पर खेल कर भी सन्तान को सुख देने के लिए कभी पीछे नहीं हटा। विश्वप्रसिद्ध है कि बल्ब जैसी अद्भुत चीज़ों के आविष्कारक, थॉमस अल्वा एडिसन को स्कूल वालों ने मन्द बुद्धि कहकर निकाल दिया था। यह बात उनकी माँ ने उनसे हमेशा छुपाई और स्वयं घर पर उन्हें शिक्षित किया। वे इस बात को कभी नही जान पाये की स्कूल से उन्हें क्यों निकाला गया था। बहुत समय पश्चात, कई आविष्कारों के बाद उन्हें स्कूल की डायरी मिली जिसमे लिखा था कि आपका बेटा मंदबुद्धि है व हमारे स्कूल के लायक नहीं।
“एक माँ के अटल विश्वास और प्यार ने एक मन्द बुद्धि बालक को सदी का सबसे महान वैज्ञानिक बना दिया।”
सर्वप्रथम मातृ दिवस किसने मनाया ?
सबसे पहले मातृ दिवस अमेरिका में Proclamation Julia Word Howe के द्वारा मनाया गया था। होवें के द्वारा 1870 में रचा गया "Mother's Day Proclamation" में अमेरिकन सिविल वार लड़ाई में हुई मारकाट सम्बंधी शांतिवादी प्रतिक्रिया (reaction) लिखी गई थी।
मातृ दिवस कब और क्यों शुरू हुआ ?
बहुत से बुज्रुगों का कहना था कि माँ के प्रति सम्मान, मतलब माँ की पूजा की परम्परा पुराने ग्रीस से शुरु हुआ है। बड़े लोगो से सुनने को आता है कि Cybele ग्रीक हमारे देवताओं की माँ हुआ करती थी उनकी याद और सम्मान के लिए मदर डे मनाया जाता है।
पहचान लेती है खामोशी में हर दर्द,
वो सिर्फ "माँ" होती है।
उसके प्यार की दास्तान इतनी लंबी थी।
5 Comments
बहोत बढ़िया
ReplyDeleteBeautifully written
ReplyDeleteबहुत बढिया.. 😘😘👍👌👌
ReplyDeleteThis is soo beautiful. Celebration of the most purest form of love.
ReplyDeleteVery heart touching post
ReplyDelete