– Salvador Dali
What is Ambition?/ Meaning of Ambition
जब हम अपनी किसी इच्छा को इतना बड़ा कर लेते है जिसे पूरा करने के लिए हम मेहनत करते है और पूरी लगन से हम उसी इच्छा को पूरा करने मे लगे है उसी बड़ी इच्छा को हम महत्वाकांक्षा कहेंगे।
उदाहरण के लिए मुझे सब लोगोंने जानना चाहिए ये मेरी इच्छा है लेकिन मुझे सबने पहचानना चाहिए ये मेरी महत्वाकांक्षा है। इसके लिए मुझे काम भी तो बड़ा करना होगा। काम बड़ा तो नाम भी बड़ा होगा।
हमें अपनी महत्वाकांक्षा पूरी करने के लिए ज्यादा काम करना होता है, अतिरिक प्रयास करना होता है तथा अपनी सुविधाक्षेत्र से बाहर निकलना होता है। तब जा के हम अपनी इच्छा को महत्वकांक्षा मे परावर्तित कर सकते है।
क्या हमें अपनी जीवन मे महत्वाकांक्षी होना ज़रूरी है ?
Do we have to be Ambitious in our lives ?
दुनिया मे दो तरह के लोग देखे जाते है जैसे की कुछ लोग बहोत इच्छाए रखते है तो कुछ लोग कम इच्छाए रखते है। कुछ लोग अपनी इच्छा को पूरा करने के लिए सही रास्ता अपनाते है तो कुछ लोग अपनी इच्छा पूर्ण करने हेतु गलत रास्ता अपनाते है। कैसे भी हो सब अपनी इच्छा पूरी करना चाहते है। लेकिन वो तो हम पे निर्भर करता है की हमें अपनी इच्छा पूर्ण करने हेतु किस मार्ग का चयन करना है।
हमारी इच्छाए हमें कार्य करने के लिए प्रेरित करती है। अगर इच्छाए नहीं तो हमें कार्य करने के लिए प्रोत्साहन कहा से मिलेगा ? महत्वाकांक्षी होने के लिए इच्छा अनिवार्य है।
A Man’s worth is not more than the worth of his ambitions.
एक इंसान की कीमत उतनी ही होती है जितनी की उसकी महत्वकांक्षा।
हमें महत्वाकांक्षी क्यों होना चाहिए? Why should we Ambitious?
छोटी छोटी इच्छाए हमारे जीने की वजह नहीं बन सकती। हमारी महत्वाकांक्षा हमारे जीने की असली वजह बनती है। ये वजह पाने के लिए हम अपनी पूरी ताकद लगाते है जिससे हमारी कार्यक्षमता बढ़ती है। कार्य करने की लगन और हमारी मेहनत हमें सफल होने से नहीं रोक सकती और सफलता जितनी बड़ी उतनीही बड़ी ख़ुशी होगी। यही सफलता हमें भीड़ मे अलग पहचान दिलाती है। यही पहचान हमें आगे बढ़ने के लिए प्रोस्ताहित करती है। सकारात्मक विचारोंसे हम आगे बढ़ते रहते है और नकारात्मक विचारोंसे दूर रहते है। सिर्फ हम हमारे महत्वाकांक्षा को ध्यान मे रखते हुए आगे बढ़ते है। महत्वाकांक्षा अपने साथ अपना लक्ष्य ले के आता है।
दो मित्र थे। जिनका नाम आरव और अर्णव था। आरव ६ साल का था और अर्णव १० साल का था। दोनों की आपस मे बहोत बनती थी। दोनों मे काफी तालमेल था। दोनों साथ साथ खेलते, पाठशाला साथ जाते। एक दिन खेलते खेलते दोनों गांव के बाहर निकल गए। खेलने मे इतने दंग हो चुके थे की उन्हें अंदाज़ा ही नहीं था की वो इतने दूर चले आए। खेलते खेलते अर्णव कुए मे गिर गया। आरव ने आसपास देखा किन्तु उसे कोई दिखाई नहीं दिया। लेकिन डोरी से बंधी हुइ बकेट उसको वहा दिखाई दी, वो उसने कुए मे डाल दी और अर्णव को उसने डोरी पकड़ने को कहा। आरव जोर से रस्सी खींचने लगा और थोड़ी देर मे अर्णव बाहर आ गया। दोनों गले लगे और जोर जोर से रोने लगे। घर पे आके सबको किस्सा सुनाया किन्तु किसीको यकीन नही हो रहा था। ६ साल का बच्चा १० साल के बच्चे को कैसे खींच सकता है ? तब सब मिलके गांव के बुजुर्ग चाचा के पास गए और किस्सा सुनाया। तब उन्होंने कहा, बच्चा सच तो कह रहा है। फिर भी सब चाचा को पूछने लगे, क्या आपको ये बात सच लगती है ? कैसे ? तब चाचाने कहा, बच्चा जो बता रहा है वो सच है। उसने कहा ना, आसपास कोई नहीं था। अर्थात तू ये कर नहीं सकता ये कहनेवाला वहा कोई नहीं था। दोस्त को बाहर निकालना उसकी इच्छा थी। उसकी उम्र से ज्यादा बड़ी उसकी महत्वाकांक्षा थी।
हम बाहर की चुनौतियोंसे नहीं,
बल्कि अपने अंदर के कमज़ोरियोंसे हारते है।
इसलिए बिना रुके अपने महत्वाकांक्षा की ओर बढ़ते रहिये। सिर्फ महत्वाकांक्षा रखनेसे वो पूरी नही होती बल्कि लगातार कोशिशें करने से पूरी होती है। महत्वाकांक्षा ऐसी होनी चाहिए जो हम पूरी कर सके।
6 Comments
You are right!
ReplyDeletetrue....nice
ReplyDeleteBeautifully written. I agree everyone should have there own ambition.
ReplyDeleteThis is ideal. Good job friend
ReplyDeleteNicely written
ReplyDeleteInteresting!
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