Consistency is the key to Success

Consistency is the key to Success


Success Isn’t About Talent Or Luck. It’s About Consistency

             निरंतरता Consistency वह जादुई कुंजी है जो किसी भी क्षेत्र में सफलता के द्वार खोलती है। लेकिन निरंतरता चालू/बंद चीज की तरह नहीं है। इससे मिलने वाली सफलता का अनुभव करने के लिए आपको अपने कार्यों और अपने विचारों में लगातार बने रहने की आवश्यकता है। इसलिए तो कहते है  Consistency is the key to Success   

      Consistency का मतलब है आपको हर दिन अपनी कला पर काम करना होगा। स्थिरता/  निरंतरता का मतलब ये तो नहीं, आप काम करते जाओगे आपको सफलता मिलती रहेगी। जब आप कोई काम पे फोकस करते हो और आगे बढ़ते हो तब उतार चढ़ाव आते रहेंगे। कभी छोटी सफलता मिलेगी, कभी छोटी असफलता भी मिलेगी। लेकिन आपको आपके काम मे निरंतर आगे बढ़ते जाना है।

            न ही आपको सफलता पे रुकना है ना ही असफलता पे पीछे हटना है। अपने लक्ष्य को केंद्रित करते हुए बस आगे बढ़ते जाना है। इसी आगे बढ़ने की रफ़्तार को हम स्थिरता [consistency] कहेंगे। इस रफ़्तार मे आगे बढ़ने के लिए हमें धैर्य, सहनशीलता की बहोत आवश्यकता होगी। 

          कई बार ऐसा होता है की हमें निराशा मिलती है और हम वही रुक जाते है। लेकिन आपको हर स्थिती के लिए सजग रहना होगा और संयमता के साथ आगे बढ़ना होगा। Consistency  का मतलब है जो भी छोटे छोटे बदलाव आप लाना चाहते है उसके साथ स्थिर बने रहना, दृढ़ बने रहना। क्योंकी यहा रुकना मना है। 

             आप प्रतियोगी परीक्षा [Competitive Exam]  के स्टूडेंट है तो आपको लगातार ज्ञान बढ़ाने के लिए काफी किताबे पढ़नी है, रीजनिंग छुड़ाना है, बार बार एक ही प्रयास आपको करके पूर्णतः निपुण होना है। कोई ना कोई पद आपको ज़रूर मिलेगा। लगातार आप कोशिश कर रहे है तो चाहे वो मंजिल पा सकते हो। अगर आपने वकीली, इंजीनियरिंग, सी.ए, डॉक्टरकी या कोई ओर क्षेत्र की पढाई पूरी की है तो आपको सराव हेतु किसी सीनियर के पास जाना है और भरोसा दिलाना है मुझे ये कला आती है लेकिन मुझे इसमे पूर्णतः निपुण होना है। मै हर काम करने के लिए तत्पर हु। इसके लिए आपको रोज़ तैयार रहना होगा। यही भरोसा आपको रोज़ नया सिखने की प्रेरणा देगा।


Consistency is the key to Success


            हम क्या चाहते है और क्यों चाहते है ? इन दो सवालो के जवाब अगर आप के पास है तो आपको कोई रोक नहीं सकता। अर्थात आप पूरी तरह से आप के काम पर लक्ष्य केंद्रित कर रहे हो। अगर आपको पता ही नहीं, हम क्या कर रहे है, क्यों कर रहे है ? आपका फोकस कभी काम पे रहेगा है नहीं। आप अगर भगवान को ही दोष दे रहे हो, ये मेरे साथ ही क्यों हुआ ? मैंने क्या बिगाड़ा था किसका ? अगर आपका दृष्टिकोण ऐसा रहा तो कदापि मुमकिन नहीं। मेरे साथ हुआ है तो कोई बात नहीं, मै ये कर सकता हु, मेरे पास तो कुछ अच्छा करने का अवसर आया है अगर आप ऐसी सोच रखते है तो आपको आपके मंजिल तक जाने को कोई नहीं रोक सकता। 

          बिना चुनौती के हम किसी भी काम मे ज्यादा देर तक नहीं रह पाते। हमारे सामने कोई उद्देश्य हो, तभी हम आगे बढ़ पाते है। कुछ पाने की हमारी इच्छा होना ज़रूरी है। ये प्रबल इच्छाशक्ती हमें रुकने नहीं देगी।

           एक लड़का था। जिसे पढाई के साथ क्रिकेट खेलने मे भी बहोत रूचि थी। क्रिकेट की वो प्रैक्टिस भी बहोत किया करता था। उसका मानना ये था की जो काम आप करते हो उस काम मे आपको बोर होना पड़ेगा। आप कही भी हो, कुछ भी करते हो। [आप कॉलेज या ऑफिस जाते हो] लेकिन जब आप रोज़ जाते हो तब आपकी कीमत होती है। क्योंकि ये आदत एक भरोसा दिलाती है की ये रोज़ काम करता है, आज भी करेगा। 

          हम रोज़ सफलता की चाबी ढूंढते है लेकिन ये कठिन परिश्रम और लगातार प्रयासोसे मिलता है। वो लड़का यही सब ईमानदारी से करता था। क्योंकि वो लड़का जानता था, अगर हारकर या डरकर रुके तो सफर ख़तम। गिरकर उठने के अलावा अपने पास कोई विकल्प नहीं। एक चीज़ बार बार करेंगे तो बोर तो होना ही है लेकिन लगातार करने से मंजिल को अपने ओर भी करीब पाएंगे। वो यही भी कहता है, अगर आपको अपने काम मे कोई भी सुधार लाना है तो लगातार प्रयास करना होगा और एक गलती दूसरी बार नहीं होगी इसका ध्यान भी रखना होगा। गलतियोंसे सिखके हमें आगे बढ़ना है। इससे ही हमारा हमारे काम के प्रती एकाग्रता बढ़ेगी और ये काम हमें दूसरे को खुश करने के लिए नहीं बल्कि हमारी मेहनत तथा काम की लगन से हमे हमारी मंजिल की तरफ बढ़ने के लिए करना है। हमें सिर्फ जीतने की सोचना है। एक बार तो पूरा दिन क्रिकेट की प्रैक्टिस करने के बाद वो लड़का शाम को जिम पहुंच गया। जिम कोच ने कहा, तुम दिन भर खेले हो, आज रहने दो, आराम करो। 


Consistency is the key to Success


          उसने कहा, मै अपने खेल मे ओर सुधार लाना चाहता हु, ये तब ही संभव है, जब मै थके हुए हालत मे मेहनत कर सकू। क्योंकी तभी मै अपने शारीरिक एवं मानसिक सीमाए तौल पाउँगा। और तभी मै सही मायने मे खेलने के लिए सज्ज रहूंगा। इसी जीत की भूकने और काम की लगातार स्थितरता ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है और वो पदमश्री प्राप्त क्रिकेटर विराट कोहली किसी परिचय के मोहताज नहीं।

          मुझे आपकी राय जानना अच्छा लगेगा, क्या निरंतरता/Consistency सफलता की कुंजी है? क्या आप उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कुछ जोखिम उठाने को तैयार हैं जो वास्तव में आपको खुश करेंगे?


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