भारत के 'जेम्स बॉन्ड' माने जाने वाले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA- National Security Agency) अजीत डोभाल को डॉक्टरेट ऑफ लिटरेचर की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया है। डोभाल पंतनगर विश्वविद्यालय के 34वें दीक्षांत समारोह में पहुंचे थे। इस दौरान राज्यपाल गुरमीत सिंह ने उन्हें ये मानद उपाधि प्रदान की। डोभाल को इंटेलिजेंस का सबसे माहिर खिलाड़ी माना जाता है। उनका जीवन किसी एडवेंचर फिल्म की कहानी जैसा है। जो 7 साल तक पाकिस्तान में जासूस रहे। उन्होंने अपने जीवन में कई चुनौतियों का सामना किया है। आज उनका नाम सुनकर दुश्मन कांप जाते हैं। भारत के इसी जेम्स बॉन्ड की कहानी आज हम आपको बता रहे हैं।
अजीत डोभाल को देश के कई बड़े सम्मान से नवाजा जा चुके है। वो देश के इकलौते ऐसे अधिकारी हैं, जिन्हें कीर्ति चक्र और शांतिकाल में मिलने वाले गैलेंट्री अवॉर्ड मिला है। डोभाल को जासूसी और राष्ट्रीय सुरक्षा का करीब 40 साल का अनुभव है। उन्हें 31 मई 2014 को भारत का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाया गया। एनएसए बनने के बाद उनके नेतृत्व में भारत ने पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक जैसे बड़े मिशन को अंजाम दिया।
डोभाल के एनएसए बनने के बाद की कहानी तो ज्यादातर लोग जानते हैं। लेकिन उनके जीवन का सबसे बड़ा जासूसी का किस्सा पाकिस्तान से जुड़ा हुआ है। डोभाल 1972 में जासूस बनकर पाकिस्तान गए थे। उन्होंने वहां सात साल गुजारे और कई गुप्त जानकारियां हासिल की। वो पाकिस्तान में मुस्लिम बनकर रहे और उर्दू भाषा में महारथ हासिल की। उन्हें पाकिस्तान के कई खुफिया राज पता है, इसलिए आज भी पाकिस्तान उनके नाम से घबराता है।
इंडियन 'टाइगर' अजीत डोभाल से जुड़ी खास बातें -
> अजित डोभाल केरल कैडर के 1968 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। अजित डोभाल भारत के दूसरे सबसे बड़े शांतिकालीन वीरता पुरस्कार कीर्ति चक्र से सम्मानित होने वाले पहले पुलिस अधिकारी हैं।
> अजित डोभाल ने छह सालों तक पाकिस्तान स्थित भारतीय उच्चायोग में सेवा की।
> अजित डोभाल 1999 के कंधार विमान हाईजैक में एयर इंडिया की उड़ान IC-814 के यात्रियों की रिहाई के लिए वार्ताकार थे।
> डोभाल ने 1988 में खालिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन ब्लैक थंडर में भी हिस्सा लिया था।
> अजित डोभाल ने इंटेलिजेंस ब्यूरो के डायरेक्टर के रूप में 2004 और 2005 के बीच कार्य किया।
> 2016 में भारतीय सेना की ओर से की गई सर्जिकल स्ट्राइक भी डोभाल की नीति का हिस्सा माना जाता है। बताया जाता है कि वह उन चुनिंदा लोगों में से एक थे, जिन्हें इस बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में पता था।
> इसके अलावा NSA के अपने पहले कार्यकाल के दौरान उन्होंने 546 भारतीय नर्सों की वापसी में मदद की थी, जो आईएसआईएस के मोसुल पर कब्जा करने के बाद इराक में फंस गई थीं।
> इसके साथ ही अजित डोभाल को म्यांमार से संचालित नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड के अलगाववादियों के खिलाफ एक सैन्य अभियान का भी क्रेडिट दिया जाता है।
> NSA अजित डोभाल भारत-चीन डोकलाम गतिरोध को सुलझाने में शामिल महत्वपूर्ण व्यक्तियों में से एक थे।
अजीत डोभाल का इतिहास काफी साहसी और दिलचस्प रहा है। उन्होंने बतौर पुलिस अधिकारी काफी ऑपरेशन किए। 1980 के दशक में मिजो एकॉर्ड, 1984 के सिख दंगों के दौरान पाकिस्तान में जासूस के रूप में कार्य, 1988 में ऑपरेशन ब्लैक थंडर और 1999 में कंधार विमान अपहरण संकट जैसी घटनाओं में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही। बतौर एनएसए उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ पहले सर्जिकल स्ट्राइक और फिर एयर स्ट्राइक के अभियान की कमान संभाली और दोनों अभियानों को सर्वोच्च सफलता दिलाई।
पूर्व खुफिया अधिकारी अजित डोभाल, नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल से ही देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) है। उन्होंने 1968 में भारतीय पुलिस सेवा (IPS) से मां भारती की सेवा शुरू की थी और 2005 में वो इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) चीफ के पद से रिटायर हुए। प्रधानमंत्री मोदी ने 30 मई 2014 को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाया। तब से वो एनएसए के पद पर कार्यरत हैं।
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