बुद्ध पूर्णिमा का महत्व
बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत पावन और महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व हर वर्ष वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था, जिन्हें भगवान विष्णु का नौवां अवतार भी माना जाता है।
बुद्ध पूर्णिमा का महत्व केवल उनके जन्म तक सीमित नहीं है, बल्कि इस दिन की पावनता इसलिए भी विशेष है क्योंकि यही वह तिथि है जब भगवान बुद्ध को बोधगया में बोधिवृक्ष के नीचे गहन तपस्या के बाद सत्य और ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। उन्होंने जीवन, दुःख, और मुक्ति के गहरे रहस्यों को समझा और मानवता को धर्म का मार्ग दिखाया।
बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए यह दिन ध्यान, तप, और करूणा के अभ्यास का प्रतीक है, जबकि हिंदू धर्म में इसे ईश्वर के अवतार के रूप में पूजा जाता है। इस दिन कई लोग सत्य, अहिंसा और संयम का व्रत लेकर पुण्य अर्जित करते हैं। बुद्ध पूर्णिमा को आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक जागरण का विशेष अवसर माना जाता है।
गौतम बुद्ध का जन्म का नाम सिद्धार्थ गौतम था। गौतम बुद्ध एक आध्यात्मिक गुरु थे, जिनकी शिक्षाओं से बौद्ध धर्म की स्थापना हुई थी। बौद्धों के लिए बोध गया गौतम बुद्ध के जीवन से संबंधित सर्वाधिक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। बोधगया के अलावा कुशीनगर, लुंबिनी और सारनाथ भी अन्य तीन महत्वपूर्ण तीर्थस्थल हैं। यह माना जाता है कि गौतम बुद्ध ने बोधगया में ज्ञान प्राप्त किया और उन्होंने पहली बार सारनाथ में धर्म की शिक्षा दी। कुल मिलाकर जन्म, सत्य का ज्ञान और महापरिनिर्वाण के लिये भगवान गौतम बुद्ध को एक ही दिन यानी वैशाख पूर्णिमा के दिन ही हुआ।
बौद्ध धर्म के अनुयायी इस दिन को भगवान बुद्ध द्वारा दिखाए गए जीवन के सत्य और उनके धर्म के उपदेशों का पालन करने के रूप में मनाते हैं। इस दिन का धार्मिक महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह दिन आध्यात्मिक जागरूकता और मानवता के सेवा की प्रेरणा देता है।
ध्यान, साधना, और करुणा के साथ भगवान बुद्ध की पूजा करने से मानसिक शांति मिलती है और जीवन की परेशानियों से उबरने में मदद मिलती है।
हिंदू धर्म में भी इस दिन का महत्व है क्योंकि इसे भगवान विष्णु के नौवे अवतार के रूप में देखा जाता है। भगवान बुद्ध ने जीवन के दुःख, पाप, और कर्म के फल को समझाया और इसे पवित्र उपदेशों के माध्यम से मानवता को दिखाया। इस दिन को आध्यात्मिक उन्नति, आत्मिक शांति, और पुण्य अर्जन का अवसर माना जाता है।
मंत्रों का जप-
बुद्ध पूर्णिमा के दिन के दिन भगवान बुद्ध का ध्यान करते हुए ‘बुद्धं शरणं गच्छामि’ मंत्र का जप करते हैं।
इस दिन पर चंद्रमा को अर्घ्य देते हुए ‘ऊं एं क्लीं सोमाय नम:’ मंत्र का जप कर सकते हैं।
बुद्धि पूर्णिमा की दिन पीपल के पेड़ की पूजा का भी खास महत्व माना गया है। ऐसे में पूजा के दौरान “ॐ मणि पद्मे हुं” मंत्र का जाप कर सकते हैं।
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