रक्षाबंधन सभी धर्मों मे प्रचलित त्यौहार है। ये त्यौहार समान भाव और उत्साह से मनाते है। इस दिन का माहौल देखने लायक होता है और क्यों न हो ? भाई और बहन का विशेष दिन जो होता है।
भाई और बहन का प्रेम और एक दूजे के प्रति कर्तव्य की भावना किसी एक दिन की मोहताज नहीं है पर रक्षाबंधन के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व की वजह से रक्षाबंधन ये त्यौहार बरसों से चल रहा है और आज भी पुरे हर्षोल्लास से मनाया जाता है। हिन्दू श्रावण मास के पूर्णिमा के दिन ये त्यौहार मनाया जाता है। ज्यादा समय न लेते हुए हम आज History Of Raksha Bandhan देखते है।
History Of Raksha Bandhan
इतिहास के पन्नो को देखा जाये तो इस त्यौहार की शुरुवात 6000 साल पहले हुई थी। जैसे की राखी के त्यौहार की शुरुवात रानी कर्णावती और सम्राट हुमायुँ मे हुई थी। मध्यकालीन युग मे राजपूत और मुस्लिमों के बिच संघर्ष चल रहा था। चित्तोड़ की रानी कर्णावती विधवा थी और रानी को अपनी एवं अपने प्रजा के सुरक्षा का कोई मार्ग नहीं दिखाई दे रहा था तब रानी ने हुमायु को राखी भेजी थी। हुमायु मुसलमान होते हुए भी राखी के बंधन को स्वीकार कर रानी कर्णावती को बहन का दर्जा देकर रक्षा करने का वचन दिया और निभाया।
कहा जाता है की विजयी रहनेवाला अलेक्ज़ैंडर, पुरु की प्रखरता से काफी विचलित हुआ था। इसे अलेक्ज़ेंडर की पत्नी काफी तनाव मे आ गई और परेशान रहने लगी। उसने रक्षाबंधन के बारे मे सुना और उसने पुरु को राखी भेज दी। पुरु ने भी उस राखी का सम्मान कर उसे अपनी बहन बना लिया और युद्ध समाप्त कर दिया। रक्षाबंधन त्यौहार मे सम्मान, रक्षा एवं सहयोग की भावना निहित है।
महाभारत काल में द्रौपदी और श्रीकृष्ण को लेकर भी एक कथा मिलती है। इंद्रप्रस्थ में शिशुपाल का वध करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र चलाया। चक्र से भगवान की उंगली थोड़ी कट गई और खून आ गया। द्रौपदी ने तुरंत अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर भगवान की उंगली पर लपेट दिया। कहते हैं जिस दिन यह घटना हुई थी उस दिन श्रावण पूर्णिमा थी। भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को वचन दिया कि वह समय आने पर साड़ी के एक-एक धागे का मोल चुकाएंगे। चीर हरण के समय भगवान ने इसी वचन को निभाया।
हमारे त्यौहार ही हमारे संस्कृति की पहचान है। हम भारतवासियो को हमारे त्योहारों पर गर्व है। आप आपका राखी का त्यौहार कैसे Celebrate कर रहे हो ? कमेंट बॉक्स मे शेयर करे। History Of Raksha Bandhan सबको शेयर करना न भूले। धन्यवाद।
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1 Comments
Nice to know the history of Rakshabandan. Should write more on Indian Festivals about their history.
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