Architect of India's Economic Reforms -Former PM Manmohan Singh

 




Architect of India's Economic Reforms 

-Former PM Manmohan Singh



"मैं किसी नियम से ऊपर नहीं हूं...

अगर ऐसा है कि इस मुद्दे पर सीबीआई या कोई और मुझसे सवाल करना चाहती है तो मेरे पास छुपाने के लिए कुछ नहीं है...." ऐसी विनम्रता से बोलने वाला शक़्स हमने साल के जाते जाते खो दिया है। भारत के चौदहवें प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह विचारक और विद्वान के रूप में प्रसिद्ध है। वह अपनी नम्रता, कर्मठता और कार्य के प्रति प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते हैं। आज हम उनके जीवनी पर नज़र डालते है। 

डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म -

          डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत के गाह नामक गांव (अब पाकिस्तान में) में हुआ था। हालांकि, 1947 में देश आजाद होने के बाद उनका परिवार अमृतसर आकर बस गया। 

शिक्षा -

स्नातक - उन्होंने चंडीगढ़ स्थित पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक किया।

स्नातकोत्तर - स्नातक के बाद उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर किया।


उच्च शिक्षा -

> 1957 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में टॉप रैंक के साथ इकोनॉमिक्स ट्रिपोस पूरा किया।

> साल 1962 में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के नफील्ड कॉलेज से अर्थशास्त्र में पीएचडी (डीफिल) की उपाधि प्राप्त की। उनका शोध "India's Export Trends and Prospects for Self-Sustained Growth" भारत की व्यापार नीति पर एक महत्त्वपूर्ण दस्तावेज बना।


इस प्रकार रहा प्रारंभिक करियर -

          राजनीति में आने से पहले डॉ. सिंह ने एक अर्थशास्त्री और शिक्षक के रूप में करियर बनाया। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में किया। साथ ही, आर्थिक अनुसंधान और नीतियों पर गहन कार्य किया।

          कुछ समय बाद वह यूनाइटेड नेशन्स कॉन्फ्रेंस ऑन ट्रेड एंड डेवलपमेंट (UNCTAD) और वर्ल्ड बैंक से जुड़े। अपनी प्रतिभा पर उन्होंने व्यापार और विकास अर्थशास्त्र में अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाई। 


भारत सरकार के लिए ये दी सेवाएं -

> मुख्य आर्थिक सलाहकार (1972-1976) -

 प्रमुख आर्थिक निर्णयों में योगदान।

> भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर (1982-1985) -

 मौद्रिक नीति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

> योजना आयोग के उपाध्यक्ष (1985-1987) -

 उन्होंने योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहते हुए भारत की आर्थिक योजना में योगदान दिया।


भारत के आर्थिक संकट के समय राजनीति में रखा कदम -

          साल 1991 में डॉ. मनमोहन सिंह ने भारतीय राजनीति में कदम रखा। यह वह समय था, जब भारत भारत आर्थिक संकट से जूझ रहा था। ऐसे में तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव ने उन्हें वित्त मंत्री नियुक्त किया। इस पद रहते हुए उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए ऐतिहासिक कदम उठाए।

वित्त मंत्री के रूप में यह रहा योगदान (1991–1996)

डॉ. मनमोहन सिंह ने भारत की अर्थव्यवस्था को वैश्विक बाजारों के लिए खोलने के लिए उदारीकरण सुधार लागू किए। साथ ही, उन्होंने लाइसेंस राज समाप्त कर, निजीकरण और राज्य नियंत्रण में कमी की। डॉ. सिंह द्वारा विदेशी निवेश को आकर्षित करने के साथ निर्यात को प्रोत्साहित किया गया।

भारत के प्रधानमंत्री (2004–2014) -

          डॉ. मनमोहन सिंह ने भारत के 14वें प्रधानमंत्री के रूप में लगातार दो कार्यकाल {१० साल } पूरे किए हैं।

पहला कार्यकाल (2004–2009) -

          इस दौरान उन्होंने राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (NREGA) लागू किया। वहीं सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) भी उनके कार्यकाल में आया। इसके अतिरिक्त उन्हें ऐतिहासिक भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौता पर हस्ताक्षर के लिए भी जाना जाता है।

दूसरा कार्यकाल (2009–2014) -

          दूसरे कार्यकाल में उन्होंने बुनियादी ढांचे के विकास और सामाजिक कल्याण योजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया। हालांकि, इस दौरान उन्हें 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला और राष्ट्रमंडल खेल घोटाले जैसे विवादों का भी सामना करना पड़ा।


डॉ. मनमोहन सिंह का व्यक्तिगत जीवन -

          डॉ. मनमोहन सिंह की पत्नी का नाम गुरशरण कौर है, जो कि एक गृहिणी और गायिका भी हैं। उनके तीन बेटियां हैं।  यह बात हम सभी जानते हैं कि उन्हें मौन पीएम भी कहा जाता था, हालांकि उन्होंने इस पर चुप्पी तोड़ते हुए सार्वजनिक रूप से जवाब भी दिया था। 


उपलब्धियां और सम्मान -

> कैंब्रिज के सेंट जॉन्स कॉलेज मे विशिष्ट प्रदर्शन के लिए राइट पुरस्कार  {1955 }

> कैंब्रिज विश्व विद्यालय का एडम स्मिथ पुरस्कार {1956 }

>  भारत सरकार की ओर से उन्हें भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक पद्म विभूषण (1987) सम्मान दिया गया।

> कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड सहित कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से उन्हें मानद डॉक्टरेट मिला है।

> भारतीय विज्ञान का जवाहरलाल नेहरू जन्म शताब्दी पुरस्कार {1995 }

निधन -

           वह उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे।  26 दिसंबर को घर पर बेहोश हुए और उन्हें नई दिल्ली स्थित एम्स में भर्ती कराया गया। यहां उन्होंने हमेशा के लिए दुनिया को अलविदा कह दिया।

          मनमोहन सिंह जी साधारण पृष्ठभूमि से उठकर वे एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री बने। उन्होंने वित्त मंत्री समेत कई सरकारी पदों पर कार्य किया और वर्षों तक हमारी आर्थिक नीति पर अपनी गहरी छाप छोड़ी।

         पीएम मोदी ने पूर्व पीएम को नमन करते हुए लिखा, संसद में उनके हस्तक्षेप भी बहुत ही व्यावहारिक थे। हमारे प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए व्यापक प्रयास किए।

जमाना कर ना सका 

उसके कद का अंदाजा, 

वो आसमान था मगर 

सर झुकाके चलता था। 


          आर्थिक सुधार, शांत गरिमामयी और अद्वितीय बुद्धि के धनी डॉ. मनमोहन सिंह, आप सचमुच अद्वितीय थे। भारत की प्रगति में आपके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।

डॉ मनमोहन सिंह जी को विनम्र श्रद्धांजलि। 

। ओम् शांति।। 

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