Happiness not about getting all you want



ख़ुशी के लिए काम करोगे 
तो ख़ुशी कभी नहीं मिलेगी। 
लेकिन खुश होकर काम करोगे 
तो ख़ुशी जरूर मिलेगी...

          ख़ुशी एक ऐसा लफ्ज़ है, जो सुनतेही हम खुश हो जाते है और हमें सकारात्मक ऊर्जाका अनुभव होता है। क्योंकि हम जो भी कार्य ख़ुशी से करते है उसमे मन भी लगा रहता है और मनचाही सफलता भी मिलती है। जो भी काम हमें सही ढंग से करना है वो ख़ुशी के बिना पूरा नहीं हो सकता। लेकिन आज हम देख रहे है, हमारी खुश रहने की संकल्पना वक़्त के साथ बदल गई है। हम हमेशा हमारी ख़ुशी चीज़ो मे ढूंढ रहे है। हम हमारी तुलना दुसरेसे करने लगे है। आज हम जो भी करते है वो सिर्फ हासिल करने के लिए, सर्वश्रेष्ठ बनने के लिए करते है। और इसी लिए खुशियों के सही मायने समझ नहीं पा रहे।
          ख़ुशी क्या है?  ख़ुशी का मतलब क्या है? हर एक का जवाब अलग होगा। सबकी जीवन की दौड़ अलग है, मंजिल भी अलग है। हर कोई अपनी खुशियों की खोज मे नज़र आता है। कोई परीक्षा के परिणाम मे अपनी ख़ुशी ढूंढ रहा तो कोई नौकरी मिलने पर ख़ुशी मना रहा है। कोई अपना घर बसा के बच्चो समेत खुश हो रहा है। हमने खुशियों का चयन अपने हिसाबसे कर लिया है। मेरा मानना ये है, आपको जो हासिल हुआ है उसमे अगर सकारात्मक भावना है और आप संतुष्ठ भी हो तो आप सही मायने मे खुश हो।
           मै आपको एक कहानी बताती हु, एक जंगल मे एक कौवा रहता था, अपने ही दुनिया मे खुश था। लेकिन एक दिन तालाब मे पानी पीते हुए उसने एक हंस को देखा और सोचने लगा, ये तो जंगल मे औरोसे इतना सफ़ेद है, कितना खुश होगा न वो। कौवा हंस के पास गया और बोला, तुम इतने सफ़ेद हो, साफ हो, सुन्दर हो, तुम तो बहोत खुश होंगे। हंस ने कहा, तोते को देखने से पहले मे बहोत खुश हुआ करता था पर अब नहीं। तोता निसर्ग की रंगसा हरा है, लाल चोंच तो उसकी सुंदरताको और बढाता है। उसके पच्शात कौवा तोते से मिला और तोते से कहा। तुम तो बहोत खुश होंगे, तुम्हारा लाल हरा रंग देख के। तोते ने कहा, मै मोर को देखने से पहले मै भी खुश हुआ करता था। मोर के पास कही तरह के रंग है, हमारे पास नहीं। कौवेने मोर से मिलने का सोचा, लेकिन जंगल मे बहोत ढूंढने के बाद वो एक चिड़ियाघर मे पाया गया। उसे देखने के लिए काफी भीड़ भी थी। सब लोग जाने के बाद कौवे ने मोर से पूछा, तुम तो बहोत खुश रहोगे न, तुम्हारे पास रंगबेरंगी पंख है, तुम्हारे साथ लोग फोटो खिचवाते है। तुम तो दुनिया के सबसे खुश जीव होंगे? इस पर मोर ने दुखी होते हुए कहा, सुन्दर होने से क्या फर्क पड़ता है। लोग मुझे चिड़ियाघर मे कैद कर के रखते है। तुम तो जहा चाहे वहा जा सकते हो। इसलिए दुनिया मे सबसे ज्यादा खुश और संतुष्ठ तो तुम्हे होना चाहिए, क्योंकि तुम आज़ाद हो। कौवा इस बात पे हैरान रह गया। उसकी ज़िन्दगी की अहमियत कोई और बता गया।   

Happiness is not about getting all you want. It is about enjoying all you have

           हमारा भी कुछ ऐसा ही हाल है। जो हमारे पास होता है हम उसमे कभी खुश नहीं रहते। और एक कहानी आपको बताती हु, एक राजा था, अपने मंत्री के साथ अपनी राज्यमे प्रजा को देखने निकल पड़ा। तो राजाकी नज़र एक खेत पर पड़ी, जहा किसान अपने बीवी और एक बच्चे के साथ रहता था। किसान अपने पुरे परिवार के साथ हसी ख़ुशी तथा प्यार और स्नेहसे रहते हुए, अलौकिक तेजसे भरा हुआ परिवार राजा को दिखाई दिया। राजा ने मंत्री से कहा, मेरे पास भव्य दिव्य महल है, जो सपनो मे देखा जाता है उसे पूरा करने की क्षमता भी। फिर भी ये किसान परिवार मेरे से ज्यादा खुश कैसे रह सकता है? मंत्री ने कहा, वो परिवार ९९ क्लब का सदस्य नहीं है। आप जो सोच रहे हो, वही सवाल राजा के मन मे भी आया। उसने मंत्रीसे पूछा,  ९९ क्लब क्या है? मंत्री ने कहा, आप मुझे ९९ सुवर्ण मुद्राए दीजिए। मै आपको बताता हु। राजा ने ९९ सुवर्ण मुद्राएं मंत्री को देदी। मंत्री ने कहा, छह महीने बाद बताऊंगा, आज नहीं। मंत्री ने ९९ मुद्राएं ली और किसान के घरके दरवाजे के बाहर रख दी। दूसरे दिन सवेरेही जब दरवाज़ा खोला तो किसानने चमकता हुआ बैग देखा और तुरंत घर मे लेकर गया। ९९ सुवर्ण मुद्रा देखकर उसे अपने किस्मत का ताला खुलने का एहसास हुआ। और वो गिनती करने बैठ गया। ९९ मुद्राये देखकर बोला, उत्साह मे शायद मे गलत गिनती कर रहा हु। उसने अपने बीवी को गिनती करने को कहा, लड़के को भी कहा। ९९ मुद्राएं दोनों ने कहा। किसानने कहा, हमे इसको १०० तो करने पड़ेंगे। उस एक मुद्रा को पाने के लिए वो लगातार कठिन परिश्रम करने लगा। किसान की बीवी ने सोचा, १ मुद्रा के लिए इतना परिश्रम, जो मिला है उसमे खुश क्यों नहीं ? उसने २ मुद्रा ली, और खरीदारी करने निकल गई। किसान घर आने के बाद  मुद्राएं गिनी तो उसे ९७ ही मिली। जोर से चिल्लाया, कहा गए २ मुद्रा? बीवी ने कहा, मै आपकी तरह नहीं हु , जो सिर्फ मुद्रा को देखतीही रहु। आज मे कुछ खरीदारी कर के लाई हु। दूसरे दिन किसान के लड़के ने २ मुद्रा ली और खरीदारी कर के आया। आज किसान ने जब मुद्राएं गिनी तो ९५ थी। वो आज ज्यादा क्रोधित हुआ और जोरसे बोला, मै १ मुद्रा के लिए दिन रात एक करके पसीना बहा रहा हु, आप लोग खर्च करते चले जा रहे हो। इसी तरह ६ महीने बीत गए। राजा मंत्री के साथ फिर निकल पड़ा। राजा को अब किसान की घरपे सिर्फ तकरार, क्रोध और झगड़ा सुनाई देने लगा। राजा ने मंत्री से पूछा, ये सब कैसे हुआ? ६ माह मे इतने कैसे बदल गए ये लोग? तब मंत्री ने कहा, अब ये किसान परिवार ९९ क्लब का सदस्य हो गया। एक के पीछे भागते भागते जो ९९ की अहमियत भूल गया। अपने परिवार की ख़ुशी भूल गया। राजा सब समझ गया। हम भी तो यही गलती करते है। एक के पीछे सब कुछ दाव पे लगाकर अपनी ख़ुशी ही भूल जाते है। जानती हु, ज़िन्दगी मे आगे बढ़ना भी ज़रूरी है। लेकिन मंज़िल तक पहुंचते पहुंचते जो भी ख़ुशी हमे मिलती है, उसका आनंद लो। ख़ुशी को स्थगित [postpone] मत करो। जो आज हमें मिल रहा है उसका संतोषसे स्वागत करो। आपकी खुशियों की चाबी आपके हाथ मे है, उसकी अहमियत समझो। 


''ख़ुशी कोई बनी बनाई चीज़ नहीं है यह आपके कार्यो से आती है।''
                                                                                                                         -दलाई लामा 


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