दिवाली के 5 जादुई दिन: उत्सव और परंपराएं




       

          दिवाली पांच दिन का पर्व है, जिसका हर एक दिन हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। पांच दिवसीय पर्व को दीपोत्सव कहा जाता है। पांच दिनों तक लगभग पूरे देश में उत्साह का माहौल होता है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दीपावली मनाते हैं। इस दिन लक्ष्मी गणेश जी की पूजा की जाती है। हालांकि इसकी शुरुआत दो दिन पहले धनतेरस से हो जाती है। जबकि समापन दिवाली के दो दिन बाद भाई दूज से होता है। हर दिन की एक खास कथा है और अलग अलग तरह से मनाने की परंपरा। पांच दिन के इस त्योहार के हर दिन का अपना महत्व है। चलिए जानते हैं कि पहले दिन से पांचवें दिन तक का महत्व क्या है।

दिवाली के 5 जादुई दिन: उत्सव और परंपराएं

पहला दिन - धनतेरस

          दिवाली के पांच दिनों में सबसे पहले धनतेरस मनाई जाती है। ये कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है। इसलिए इसे धनत्रयोदशी भी कहते हैं। मान्यता है कि इस दिन चिकित्सा और आयुर्वेद के देवता भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था। भगवान धन्वंतरि ही समुद्र मंथन से अमृत कलश हाथ में लेकर बाहर आए थे। इसलिए धनतेरस को भगवान धन्वंतरि, ऐश्वर्य के स्वामी कुबेर जी की और माता लक्ष्मी का पूजन होता है

दूसरा दिन- नरक चतुर्दशी

           नरक चतुर्दशी को रूप चौदस के नाम से भी जानते हैं। मान्यता अनुसार, इस दिन भगवान श्री कृष्ण जी ने नरकासुर का वध किया था और लगभग 16 हजार महिलाओं को नरकासुर की कैद से मुक्त किया था। इस दिन को छोटी दिवाली भी कहते हैं। नरक चतुर्दशी को यमराज जी के नाम का दीपक भी जलाया जाता है। साथ ही इसे रूप चौदस भी कहते हैं।

तीसरा दिन- दीपावली

          कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दीपावली मनाई जाती है। इस दिन माता लक्ष्मी और गणेश की पूजा की जाती है और घरों में रंगोली बनाई जाती है। घरों में पकवान बनाए जाते हैं और धूमधाम से इस त्योहार को मनाया जाता है।  

चौथा दिन- गोवर्धन पूजा

         दिवाली के अगले दिन यानी कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा की जाती है, जिसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। इस दिन गोवर्धन यानी गाय-बैल की पूजा की जाती है। इसके अलावा गोवर्धन पर्वत की पूजा और परिक्रमा भी लगाई जाती है।

पांचवा दिन- भाई दूज

          गोवर्धन पूजा के अगले दिन भाई दूज मनाई जाती है। इस दिन बहन अपने भाई के मस्तक पर तिलक लगा कर उनकी आरती उतारती हैं और मुंह मीठा कराती हैं। इस दिन यम और यमुना की कथा भी सुनाई जाती है। रक्षाबंधन की तरह ये त्योहार भी भाई बहन के रिश्ते का प्रतीक है।

         ये पांच दिन अपना अलग अलग महत्व रखते है। यही पांच दिन परिवार के साथ मनाने का आनंद अलग ही होता है। आप आपके ५ जादुई दिन कैसे मनाते हो ? ये कमेंट बॉक्स मे जरूर बताए। 

        आपके घर में लक्ष्मी का स्वागत हो, गणेश की कृपा से सभी कठिनाइयों का निवारण हो । 

शुभ दीवाली ! 

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