क्या हमारे शब्द हमें सफल बनाते है ?
सर्वप्रथम आपको प्यार भरा नमस्ते। आज मै आपके सामने लेकर आई हु, एक सवाल। जिसका जवाब हमें मिलकर ठुंडना है। सवाल ये है की, क्या हमारे शब्द हमें सफल बनाते है ? चलो मिलकर सोचते है।
जब भी किसी इंसान ने पहली बार बोला होगा तभी तो इंसान ने एक दूसरे को अच्छेसे जाना होगा। शब्द तो एक हमारे लिए उपहार है जो हमें एक दूसरे से जोड़े रखता है, हमें एक दूजे को समझने का अवसर देता है। हमें हमारी भावनाए प्रकट करने का साधन शब्द ही तो है जैसे ख़ुशी, प्रसन्नता, नाराजगी और भी न जाने कितनी अनगिनत भावनाए शब्दों से प्रकट होती है।
हम दिनभर बात करते हुए कितने शब्द बोलते है ? हां सही पढ़ा आपने। शायद इस सवाल का जवाब हमारे पास नहीं है लेकिन दिनभर मे आपने कितने अच्छे शब्द बोले है ? कितने Positive Words बोले है ? इसका जवाब हमें लगभग मिल ही जायेगा। इसलिए बात करते हुए योग्य शब्दों का चयन करना बहोत जरुरी है।
हम जब बात करे तब हमारे शब्द सकारात्मक होने चाहिए जो सुनने के बाद सामनेवाले को अच्छा और प्रसन्न लगना चाहिए। हमारे शब्द जितने ज्यादा Positive होंगे उतने सामनेवाले के दिल मे हम अपनी योग्य जगह बना पाते है।
हमारे Good Words ही हमारी Good Image बनाते है। इसके वजह से हम अच्छे दोस्त भी बना पाते है। Good Relation भी हमारे बनते है। अतः हमारे जीवन मे भी हमारे बोले गए शब्द मायने रखते है।
हज़ारों लोगों के सामने बोले गए प्रभावशाली शब्द भी महफ़िल मे हजारों तालियों की सौकात ले जाते है और अपनी एक अलग ही छाप छोड़ जाते है। और हमें स्पेशल बना देते है।
आपने एक बात सुनी होगी जैसा हम बोलते है वैसे हम बन भी जाते है, वैसे हमारी पर्सनालिटी बन जाती है इसलिए हमें बोलते समय शब्दों का सही चयन करना है।
शब्दों का सही इस्तेमाल से विचारों को स्पष्टता दिखाई देती है। विचारों की स्पष्टता ही हमें सफलता की ओर ले जाती है। इसीलिए हमारे शब्द ही हमें सफल बनाते है।
हमें जिंदगी को आगे बढ़ाने के लिए, सफलताओ को प्राप्त करने के लिए, सीखने और सिखाने के लिए, और वो अन्य सभी काम करने के लिए, जो किसी दुसरे से सम्बंधित होता है, उसके लिए हमें विचारो का आदान-प्रदान करने की जरुरत होती है। जो होती है शब्दों के रूप में। शब्द ही है जो इंसानों के जिंदगी में हर खेल करता है। मुझे बैस जी की ये शब्द की कविता बहोत पसंद आई जो मै आपके साथ साँझा करना चाहती हु।
वो मेरे शब्द ही थे
जिसने मुझे रुलाया,
वो मेरे शब्द ही थे
जिसने मुझे हंसाया,
मुझे गर्तो में ले जाने वाला
शब्द ही है,
मुझे शिखरो पर चढ़ाने वाला भी
शब्द ही है,
मेरे रिश्ते जोड़े शब्दों ने
मेरे रिश्ते तोड़े शब्दों ने।
शब्द है भाषाओ में
शब्द है भावनाओ में,
मुझे दूसरों से जोड़े
वो मेरे शब्द है,
मुझे मेरे मन से जोड़े
वो भी मेरे शब्द है,
शब्द पिता से आशीर्वाद दिलाता
शब्द ही माँ से प्यार,
शब्दों से बहन को सताया
शब्दों से बने यारो का यार।
शिक्षा का आरम्भ हुआ शब्दों से
अंत भी लिखना है शब्दों से,
धन दौलत हो या रिश्ता बढ़िया
कुछ भी पा जाये शब्दों से,
शब्दों से बुद्धिमत्ता दिखती
शब्दों से लोगो का व्यवहार,
शब्दों से रिश्ते बनते
शब्दों से ही बढे व्यापार।
बोलने से पहले
जरा संभल जा ऐ मेरे मुख
निकले शब्द ना वापस आने वाले,
तू भी संभल जा
सोचने से पहले ऐ मेरे मन
भावनाओ के शब्द
हो सकते है तड़पाने वाले,
शब्द हो चाहे भाषाओ का
या मन के विचारो जैसा
नाप तौल के ही शब्द बोलिए
क्या हड़बड़ी, और जल्दी कैसा,
शब्दों का ये खेल कैसा
कोई ताकतवर ना इसके जैसा।
- चन्दन बैस
यहाँ तक की हम जो भावनाए महसूस करते है उसमे से अधिकतर खुद के या दूसरों के शब्दों का ही प्रतिक्रिया होता है। अगर शब्दों को इंसानों की दुनियां से पूरी तरह हटा लिया जाये (चाहे वो किसी भाषा के हो, क्योकि हर भाषा शब्दों से ही बने है) तो हम इंसानों की दुनिया कैसी हो जाएगी? इसलिए तो कहते है Words Have Power
चुप रहिये,
या फिर ऐसे शब्द बोलिये,
जो मौन से ज्यादा कीमती हो।
- पाइथागोरस
0 Comments