Happy Buddha Purnima

Happy Buddha Purnima



           हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि को बुद्ध पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। वैशाख शुक्ल पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा या पीपल पूर्णिमा कहा जाता है।

        धार्मिक मान्यता के अनुसार वैशाख पूर्णिमा भगवान बुद्ध के जीवन की तीन अहम बातें -बुद्ध का जन्म, बुद्ध को ज्ञान प्राप्ति और बुद्ध का निर्वाण के कारण भी विशेष तिथि मानी जाती है। इस दिन भगवान गौतम बुद्ध का जन्म भी हुआ था और संयोग से इसी दिन भगवान बुद्ध को ज्ञान की भी प्राप्ति हुई थी।

          पुराणों में महात्मा बुद्ध को भगवान विष्णु का नौवां अवतार माना गया है। इस दिन बौद्ध मतावलंबी बौद्ध विहारों और मठों में इकट्ठा होकर एक साथ उपासना करते हैं। दीप प्रज्जवलित कर बुद्ध की शिक्षाओं का अनुसरण करने का संकल्प लेते हैं। गौतम बुद्ध के जीवन से जुड़े कई ऐसे प्रसंग हैं, जिनमें सुखी जीवन और सफलता पाने के सूत्र छिपे हैं।

अष्टांगिक मार्ग

         महात्मा बुद्ध ने बताया कि तृष्णा ही सभी दुखों का मूल कारण है। तृष्णा के कारण संसार की विभिन्न वस्तुओं की ओर मनुष्य प्रवृत्त होता है और जब वह उन्हें प्राप्त नहीं कर सकता अथवा जब वे प्राप्त होकर भी नष्ट हो जाती हैं तब उसे दुख होता है। तृष्णा के साथ मृत्यु प्राप्त करने वाला प्राणी उसकी प्रेरणा से फिर भी जन्म ग्रहण करता है और संसार के दुख चक्र में पिसता रहता है। अत: तृष्णा को त्याग देने का मार्ग ही मुक्ति का मार्ग है।

          भगवान बुद्ध का अष्टांगिक मार्ग वह माध्यम है जो दुख के निदान का मार्ग बताता है। उनका यह अष्टांगिक मार्ग ज्ञान, संकल्प, वचन, कर्म, आजीव, व्यायाम, स्मृति और समाधि के सन्दर्भ में सम्यकता से साक्षात्कार कराता है। 

          गौतम बुद्ध ने मनुष्य के बहुत से दुखों का कारण उसके स्वयं का अज्ञान और मिथ्या दृष्टि बताया है। महात्मा बुद्ध ने पहली बार सारनाथ में प्रवचन दिया था उनका प्रथम उपदेश 'धर्मचक्र प्रवर्तन' के नाम से जाना जाता है जो उन्होंने आषाढ़ पूर्णिमा के दिन पांच भिक्षुओं को दिया था। 

          भेदभाव रहित होकर हर वर्ग के लोगों ने महात्मा बुद्ध की शरण ली व उनके उपदेशों का अनुसरण किया। कुछ ही दिनों में पूरे भारत में ‘बुद्धं शरणं गच्छामि, धम्मं शरणं गच्छामि, संघ शरणम् गच्छामि’का जयघोष गूंजने लगा। उन्होंने कहा कि केवल मांस खाने वाला ही अपवित्र नहीं होता बल्कि क्रोध, व्यभिचार, छल, कपट, ईर्ष्या और दूसरों की निंदा भी इंसान को अपवित्र बनाती है। मन की शुद्धता के लिए पवित्र जीवन बिताना जरूरी है।

भगवान बुद्ध का महानिर्वाण

         भगवान बुद्ध का धर्म प्रचार 40 वर्षों तक चलता रहा। अंत में उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में पावापुरी नामक स्थान पर 80 वर्ष की अवस्था में ई.पू. 483 में वैशाख की पूर्णिमा के दिन ही महानिर्वाण प्राप्त हुआ। बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर कुशीनगर के महापरिनिर्वाण मंदिर में एक महीने तक चलने वाले विशाल मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें देश विदेश के लाखों बौद्ध अनुयायी यहां पहुंचते हैं।

भगवान बुद्ध के अनमोल वचन -

 -“अतीत में मत रहो, भविष्य के सपने मत देखो, मन को वर्तमान क्षण पर केंद्रित करो।”


-"हर सुबह हम दोबारा जन्म लेते हैं। आज हम जो करते हैं, वही सबसे अधिक महत्वपूर्ण है।"


-"आपको अपने क्रोध के लिए दंडित नहीं किया जाएगा, आपको अपने क्रोध से दंडित किया जाएगा।"


-"परेशानी ये है कि तुम्हे लगता है तुम्हारे पास समय है।"


-"यदि आप कसी के लिए दीपक जलाते हैं, तो यह आपका मार्ग भी रोशन करेगा।"


-"खुशी उन लोगों को कभी नहीं मिलेगी, जो उनके पास पहले से मौजूद चीजों की सराहना करने में विफल रहते हैं।"


-“हर सुबह हम दोबारा जन्म लेते हैं। आज हम जो करते हैं, वही सबसे अधिक मायने रखता है।”


-"आपका सबसे बड़ा दुश्मन भी आपको उतना नुकसान नहीं पहुंचा सकता, जितना कि आपके अपने अनियंत्रित विचार।"


-“अपने मन को हर चीज में कुछ अच्छा देखने के लिए प्रशिक्षित करें।”


-“आप जितने शांत रहेंगे, उतना ही अधिक सुन सकेंगे।”


-"चाहे अतीत कितना भी कठिन क्यों न हो, आप हमेशा शुरुआत कर सकते हैं।"


-"अपने विचारों के साथ, हम दुनिया बनाते हैं।"


-"तुम जिस के पीछे पड़ते हो, उसी को खो देते हो।"


-“अपने मन पर शासन करो या यह आप पर शासन करेगा।”


-“दुख का मूल आसक्ति है।”


-"कोई भी चीज आपको उतना नुकसान नहीं पहुंचा सकती, जितना कि आपके अपने अनियंत्रित विचार।"


-"पानी से यह सीखो: नाला जोर से छप-छप करता है, लेकिन सागर की गहराई शांत है।"


-“बुरे कामों से उसी तरह दूर रहो, जैसे जीवन से प्रेम करने वाला व्यक्ति जहर से दूर रहता है।”


-"किसी भी बात पर विश्वास मत करो, चाहे आपने इसे कहां पढ़ा हो, या इसे किसने कहा हो, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह मैंने कहा है, जब तक कि यह आपके अपने तर्क और आपके अपने सामान्य ज्ञान से सहमत न हो।"


-"सभी को यह त्रिगुण सत्य सिखाएं: उदार हृदय, दयालु भाषण, तथा सेवा और करुणा का जीवन वे चीजें हैं, जो मानवता को नवीनीकृत करती हैं।"


-“प्रत्येक मनुष्य अपने स्वास्थ्य या रोग का स्वयं निर्माता है।”


-"कुछ भी स्थायी नहीं है।"


-“अपना मन भलाई करने में लगाओ। इसे बार-बार दोहराओ और तुम आनंद से भर जाओगे।”


-“सच्चा प्यार समझ से पैदा होता है।”


-“हमें कोई नहीं बचाता सिवाय हमारे अपने। कोई भी ऐसा नहीं कर सकता और कोई भी ऐसा नहीं कर सकता। हमें खुद ही इस रास्ते पर चलना होगा।”


-"स्वास्थ्य सबसे बड़ा उपहार है, संतोष सबसे बड़ा धन है, वफादारी सबसे अच्छा रिश्ता है।"


-"किसी भी बात पर विश्वास मत करो, चाहे आपने इसे कहां पढ़ा हो, या किसने कहा हो, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैंने यह कहा है या नहीं, जब तक कि यह आपके अपने तर्क और आपके अपने सामान्य ज्ञान से सहमत न हो।"


-“शांति भीतर से आती है। इसके बिना इसकी खोज मत करो।"


-"अगर हम एक फूल के चमत्कार को स्पष्ट रूप से देख सकें तो हमारा पूरा जीवन बदल जाएगा।"


-“हजारों लड़ाइयां जीतने से बेहतर है कि आप खुद पर विजय पाएं। फिर जीत आपकी है. इसे आपसे नहीं छीना जा सकता।"


            भगवान बुद्ध की शिक्षाएं हमें सच्चाई, प्रेम, और करुणा का मार्ग दिखाती हैं। इस पावन दिन पर उनके आदर्शों को याद करते हुए हम सभी अपने जीवन को अधिक शांतिमय और सुखद बना सकते हैं। भगवान बुद्ध का आशीर्वाद हम सभी पर बना रहे।

       यह अवसर न केवल भगवान बुद्ध के जीवन और शिक्षाओं को स्मरण करने का है, बल्कि उनके द्वारा दिए गए शांति, करुणा और अहिंसा के संदेश को अपने जीवन में अपनाने का भी है।

 

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