Mary Kom Biography in Hindi
मैरी कॉम की जीवनी
Mary Kom ओलंपिक और कॉमनवेल्थ गेम्स में महिला मुक्केबाजी के लिए पदक जीतनेवाली पहली महिला बॉक्सर है। उन्होने 2001 में पहली बार राष्ट्रीय महिला बॉक्सिंग चैंपियनशिप जीती। हम सभी जानते है मेरी कॉम का सफर जो संघर्ष से लेकर सफलता की ओर गया है। चलो नजर डालते है - Mary Kom Biography in Hindi मैरी कॉम की जीवनी पर।
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Mary Kom का जन्म, परिवार एवं शिक्षा -
Mary Kom का जन्म मणिपुर के एक छोटे से गांव में हुआ था, उनका पूरा नाम मांगते चंग्नेइजैंग मैरी कॉम है। इनके पिता का नाम मांगते तोंपा कोम, जो की एक किसान थे। माता का नाम मांगते अक्हम कोम, जो घरकाम करती और अपने पति को खेती मे मदद करती। इसके साथ ही उनके परिवार में एक छोटा भाई और एक बहन भी है।
मैरी ने क्रिश्चियन मॉडल स्कूल से अपनी शुरुआती शिक्षा पूरी की। लोकटक क्रिश्चियन मॉडल स्कूल में मैरी ने छठी कक्षा तक पढ़ाई की आगे की पढ़ाई 6 से 8 तक के लिए सेंट जेवियर स्कूल में चली गई। इंफाल के आदिम जाति हाई स्कूल से मैरी ने कक्षा 9 तथा 10 की शिक्षा ली परंतु वह कक्षा 10 (मैट्रिक) की परीक्षा पास नहीं कर पाई और फिर से उसी कक्षा को पढ़ने का मैरी का मन नहीं था इसी कारण से मैरी स्कूल छोड़कर ‘नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग इंफाल’ से आगे की पढ़ाई पूरी की।
मैरी ने चुराचांदपुर कॉलेज से स्नातक पूरा किया। मैरी ने अपनी छोटी उम्र से ही परिवार में मदद करना शुरू कर दिया वह अपने माता-पिता का खेत के कामों में भी हाथ बटाती। अपने काम के साथ-साथ मैरी ने मुक्केबाजी के लिए भी प्रयास शुरू किए परंतु इन सब के साथ उसने अपनी पढ़ाई को बीच में नहीं छोड़ा अपने सपनों के साथ ही अपनी पढ़ाई को भी पूरा किया।
बचपन से ही थी खेलों मे रूचि -
मैरी को बचपन से ही खेलों में अत्यधिक रुचि थी। मैरी ने 18 वर्ष की उम्र से ही बॉक्सिंग (मुक्केबाजी) की शुरुआत कर ली। सन 1999 में मैरी ने बॉक्सिंग का मैच खुमान लंपक स्पोर्टस कॉम्प्लेक्स में पहली बार देखा। पहली नजर में मैरी को मुक्केबाजी से लगाव हो गया। उन्होंने बॉक्सिंग रिंग में लड़के तथा लड़कियों को मैच खेलते देखा तभी मन बना लिया कि मुझे यह खेल खेलना है और मैं यह कर सकती हूं।
मैरी कॉम के प्रेरणास्रोत्र -
बॉक्सिंग में शुरुआत में मैरी “बॉक्सर डिंगको सिंह” से बहुत प्रभावित हुई। सन 1998 में बॉक्सर डिंगको सिंह को एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल से नवाजा गया। बॉक्सर डिंगको सिंह मणिपुर के ही थे, यह सब देखकर मैरी ने बॉक्सर डिंगको को अपना प्रेरणास्त्रोत बना लिया।
जब अखबार मे छपी जीत की खबर-
लड़कियों के लिए बॉक्सिंग में करियर बनाना इतना आसान कहा था ? मैरी का परिवार भी उनके साथ नहीं था और मैरी के लिए उनके परिवार वालों को मनाना इतना आसान भी नहीं था। मैरी के लिए बॉक्सिंग की ट्रेनिंग लेना जरूरी था तो मैरी ने अपने परिवार को बिना कुछ बताए ट्रेनिंग लेना शुरू कर दिया, वह देर रात तक बॉक्सिंग रिंग में प्रैक्टिस करती रहती और इसी कड़ी मेहनत ने उसे सन 2000 में 'वुमन बॉक्सिंग चैंपियनशिप मणिपुर' में जीत मिली। जब उन्हें जीत हासिल हुई तब उनका मणिपुर के सभी अखबारों में नाम प्रकाशित हुआ।
मैरी की बॉक्सिंग के बारे में मैरी के परिवार वालों को अखबार से ही पता चला और उनका परिवार उनकी जीत पर बहुत खुश हुआ। यहीं से मैरी को बॉक्सिंग में पहचान मिली मणिपुर से मैरी ने बॉक्सिंग में नई पहचान बना ली और बॉक्सिंग के आगे के सफर के निकल पड़ी। सारे बाधाओंको पार करके मैरी सबसे आगे निकल गई ,परिणाम हम सबके सामने है।
प्रमुख उपलब्धियां -
> 2001 में एआईबीए वर्ल्ड वुमन्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक अपने नाम किया।
> 2002 में एआईबीए वर्ल्ड वुमन्स सीनियर बॉक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता।
> 2002 में उन्होंने हंगरी में विच कप में 45 किलो भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीता।
> 2003 में एशियन वुमन्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक हासिल किया।
> 2004 में ताईवान में आयोजित एशियन वुमन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक अपने नाम किया।
> 2005 में एआईबीए वुमन्स वर्ल्ड चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता।
> 2006 में एआईबीए वर्ल्ड चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता।
> 2008 में चीन में आयोजित वर्ल्ड चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता।
> 2010 में एआईबीए वर्ल्ड चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक अपने नाम किया।
> 2010 एशियाई खेलों में कांस्य पदक से नवाजा गया।
> 2012 लंदन ओलम्पिक में कांस्य पदक जीता।
> 2014 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता।
> 2019 के प्रेसिडेंसीयल कप इोंडोनेशिया में 51 किग्रा भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीता।
पुरस्कार -
> भारत सरकार ने वर्ष 2003 में मैरी कॉम को अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया।
> वर्ष 2006 में उन्हें पद्म श्री से भी सम्मानित किया गया।
> 29 जुलाई, 2009 को वे भारत के सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार के लिए मुक्केबाज़ विजेंदर कुमार तथा पहलवान सुशील कुमार के साथ संयुक्त रूप से चुनीं गयीं।
> वर्ष 2013 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
> मध्यप्रदेश के ग्वालियर में स्त्रीत्व को नई परिभाषा देकर अपने शौर्य बल से नए प्रतिमान गढ़ने वाली विश्व प्रसिद्ध मुक्केबाज श्रीमती एमसी मैरी कॉम 17 जून 2018 को वीरांगना सम्मान से विभूषित किया गया।
> नई दिल्ली में आयोजित 10 वीं एआईबीए महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप 24 नवंबर, 2018 को उन्होंने 6 विश्व चैंपियनशिप जीतने वाली पहली महिला बनकर इतिहास बनाया।
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रोचक जानकारी -
> मैरी कॉम ने 2014 के एशियाई खेलों में एक स्वर्ण पदक जीता और भारत के लिए इतिहास रचा। वह महिलाओं के फ्लाईवेट (48-52 किलो) विभाग में स्वर्ण पदक जीता जो एशियाई खेलों में उनका पहला स्वर्ण पदक था।
> 26 अप्रैल 2016 को उन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा राज्य सभा में संसद सदस्य के रूप में नामित किया गया था।
> मार्च 2017 को भारत सरकार ने मैरीकॉम को “युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय” द्वारा बॉक्सिंग का नेशनल ऑब्जर्वर के रुप में मनोनीत किया था।
मैरी कॉम की शादी और बच्चे -
साल 2001 में मैरी कॉम जब पंजाब में नेशनल गेम्स खेलने के लिए जा रही थी, तभी उनकी मुलाकात ओन्लर से हुई थी। उस समय ओन्लर दिल्ली यूनिवर्सिटी में लॉ की पढ़ाई कर रहे थे। पहले दोनों बहुत अच्छे दोस्त बने फिर करीब 4 सालों बाद उनकी दोस्ती का रिश्ता प्यार में बदल गया और फिर साल 2005 में दोनों ने शादी कर ली।
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शादी के बाद दोनों को तीन बच्चे हुए। साल 2007 में मैरी कॉम ने जुड़वां बच्चों को जन्म दिया। इसके बाद साल 2013 में फिर से उन्हें एक बेटा हुआ।
मैरी कॉम के जीवन पर आधारित किताब-
मैरी कॉम के प्रेरणादायक जीवन पर उनकी आत्मकथा “Unbreakable” के नाम से साल 2013 में प्रकाशित की जा चुकी है। इस किताब को प्रसिद्ध बॉक्सर मैरी कॉम ने डीनो सरटो के साथ लिखा है।
मैरी के जीवन पर बनी बायोपिक ‘मैरी कॉम’ -
बॉक्सिंग की दुनिया में अपनी उपलब्धियों और सफलताओं के कारण मैरी कॉम आज हर भारतीय महिला के लिए प्रेरणास्रोत हैं। उनके जीवन पर एक फिल्म भी बनी जिसका प्रदर्शन 2014 मे हुआ। ओमंग कुमार द्वारा निर्देशित इस फिल्म में उनकी भूमिका प्रसिद्ध बॉलीवुड & हॉलीवुड नायिका प्रियंका चोपड़ा ने निभाई। लोगों ने इस फिल्म को पसंद किया, ये फिल्म भी बहुत सराही गयी। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर काफी हिट रही थी।
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मुक्केबाजी के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनाने वाली एवं भारत को पूरी दुनिया के सामने गौरान्वित करने वाली महिला मुक्केबाज मैरी कॉम से हर किसी को प्रेरणा लेने की जरुरत है।आपने सुना तो होगा, ''जितना कठिन संघर्ष होगा, उतनी ही शानदार जीत होगी।''
जिस तरह मैरी कॉम ने अपने जीवन में तमाम संघर्षों का सामना करते हुए, बॉक्सिंग में अपना करियर बनाने की चाह को सच कर दिखाया है, और लोगों की इस धारणा को गलत साबित कर दिखाया कि मुक्केबाजी सिर्फ पुरुषों के लिए नहीं है, बल्कि महिलाएं भी इसमें किसी तरह से पीछे नहीं है। यह अपने आप मे तारीफ-ए-काबिल है।
FAQ'S-
1. मैरी कॉम का जन्म कब और कहां हुआ था?
> 24 नवंबर 1982 कन्गथेइ, मणिपुरी, भारत
2. मैरी कॉम के पिता क्या करते थे?
> किसान
3. मैरी कॉम के कितने बच्चे थे?
> 3
4. मैरी कॉम को बॉक्सर बनने की प्रेरणा कब और किससे मिली?
> जब बॉक्सिंग में डिगको सिंह स्वर्णपदक जीता था तब उनसे प्रेरित होकर मेरी कॉम ने बॉक्सिंग में जाने का मन बना लिया था
5. मैरी कॉम के माता पिता का क्या नाम था?
> मांगते अक्हम कोम – मांगते तोंपा कोम
6. राष्ट्रीय मुक्केबाज का नाम क्या है?
> मैरी कॉम
7. मैरी कॉम का जन्म कब हुआ ?
> 24 नवंबर 1982
8. मैरी कॉम का जन्म कहां हुआ ?
> कन्गथेइ, मणिपुरी, भारत
9. मैरी कॉम किस राज्य से हैं ?
> मणिपुर इंफाल
10. मैरी कॉम के पति का नाम क्या है ?
> करुँग ओंलर कोम
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