आज हम इस आर्टिकल में हम भारत के प्रसिद्द शास्त्रीय नृत्य कलाकारों में से एक और कथक सम्राट (Kathak Samrat) के नाम से मशहूर पंडित बिरजू महाराज (Birju Maharaj) के बारे में बात करेंगे। बिरजू महाराज को कथक नृत्य (kathak dance) को देश और दुनिया में नई पहचान दिलाने के लिए जाना जाता है। वे भारतीय नृत्य की ‘कथक’ शैली के आचार्य और लखनऊ के ‘कालका-बिंदादीन’ घराने के एक मुख्य प्रतिनिधि थे। बिरजू महाराजने कत्थक को नई पहचान दी। नृत्य के अलावा बिरजू महाराज की हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायन मे भी विशेष रूचि रखते थे। वह एक अच्छे शास्त्रीय गायक भी थे।
भारत सरकार द्वारा बिरजू महाराज को देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्म विभूषण’ से भी सम्मानित किया गया था। तो चलिए शुरू करते है आगे पंडित बिरजू महाराज का जीवन परिचय।
पंडित बिरजू महाराज जीवनी (Birju Maharaj Biography)
बिरजू महाराज का जन्म 4 फरवरी 1938 को लखनऊ, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनका पूरा नाम पंडित बृजमोहन मिश्र, तथा उनके पिता का नाम जगन्नाथ महाराज है जो कि एक प्रसिद्ध कथक नृत्यक भी थे और उन्हे लखनऊ घराने के अच्छन महाराज कहा जाता था। ये रायगढ़ रजवाड़ी में दरबारी नर्तक हुआ करते थे। बिरजू महाराज का नाम पहले दुखहरण रखा गया। क्योंकि ये जिस अस्पताल में पैदा हुए थे उस दिन वह उनके अलावा बाकी सब कन्याओं का जन्म हुआ था। जिस कारण उनका नाम बृजमोहन रख दिया गया। यही नाम आगे चलकर ‘बिरजू’ और ‘बिरजू महाराज’ हो गया।
बिरजू महाराज को उनके पिता ने बचपन से ही कथक का प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया था। हालांकि बिरजू महाराज जब 9 साल के थे तभी उनके पिता का निधन हो गया था। पिता के निधन के बाद बिरजू महाराज के चाचाओं सुप्रसिद्ध आचार्यों शंभू और लच्छू महाराज ने बिरजू महाराज को कथक का प्रशिक्षण दिया।
कथक का प्रशिक्षण लेने के बाद मात्र 16 साल की उम्र में बिरजू महाराज ने अपनी पहली प्रस्तुति दी थी। उन्होंने 23 साल की उम्र में नई दिल्ली के संगीत भारती में नृत्य की शिक्षा देना शुरू कर दिया था। इसके अलावा दिल्ली में ही भारतीय कला केंद्र में भी बिरजू महाराज ने नृत्य सीखना शुरू किया। उसके कुछ समय बाद इन्होंने कथक केंद्र में शिक्षण कार्य शुरू किया। साल 1998 में सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने दिल्ली में कलाश्रम नाम से एक नाट्य विद्यालय खोला।
बॉलीवुड से भी गहरा नाता -
बिरजू महाराज का बॉलीवुड से भी गहरा नाता रहा है। उन्होंने बॉलीवुड की कई फिल्मों के गीतों का नृत्य निर्देशन किया था। बिरजू महाराज ने ‘शतरंज के खिलाड़ी’, ‘देवदास’, ‘डेढ़ इश्किया’, ‘उमराव जान’, ‘बाजीराव मस्तानी’, ‘दिल तो पागल है’, ‘गदर एक प्रेम कथा’ सहित कई फिल्मों के गानों में बतौर नृत्य निर्देशक काम किया है।
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भारतीय शास्त्रीय संगीत मे भी रूचि -
नृत्य के अलावा बिरजू महाराज की ‘भारतीय शास्त्रीय संगीत’ पर भी उनकी गहरी पकड़ थी। ठुमरी, दादरा, भजन और गजल गायकी में उनका कोई जवाब नहीं था। वह कई वाद्य यंत्र भी बजाना जानते थे। बिरजू महाराज सितार, सरोद और सारंगी भी अच्छी तरह से बजाते थे। उन्होंने कई वाद्य यंत्रों को बजाने की शिक्षा भी ग्रहण की थी। इसके अलावा बिरजू महाराज ने एक संवेदनशील कवि और चित्रकार के रूप में भी अपनी पहचान बनाई थी।
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पुरस्कार -
बिरजू महाराज को बाद अपने क्षेत्र में शुरू से ही काफी प्रशंसा और सम्मान मिले। इनमें से 1986 में पदम-विभूषण, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार तथा कालिदास सम्मान प्रमुख है। इसके साथ ही उन्हें काशी हिंदू विश्वविद्यालय और खैरागढ़ विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की मानद उपाधि मिली।
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> 2002 में लता मंगेशकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
> 24 फरवरी, 2000 को उन्हें प्रतिष्ठित संगम कला पुरस्कार पुरस्कृत किया गया।
> भरत मुनि सम्मान से भी नवाजा गया था।
> 2012 में सर्वश्रेष्ठ नृत्य निर्देशन के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार फिल्म विश्वरूपम के लिए उन्हें सम्मानित किया गया।
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> 2016 का सर्वश्रेष्ठ नृत्य निर्देशन के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार फिल्म बाजीराव मस्तानी के लिए मिला।
> 2016 में हिंदी फिल्म बाजीराव मस्तानी में “मोहे रंग दो लाल” गाने पर नृत्य निर्देशन के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार मिला।
बिरजू महाराज का निधन (Birju Maharaj passed away)
17 जनवरी 2022 में 83 साल की उम्र में बिरजू महाराज का निधन हुआ। हार्ट अटैक आने के बाद बिरजू महाराज को दिल्ली के साकेत अस्पताल ले जाया गया था, जहाँ डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था।
'' समय जिंदगी का कम होगा कहा पता था,
विदाइ आपकी अनपेक्षित होगी वो कहा पता था,
संगीत की दुनिया मे खुशबू फैलाकर, स्मृति सबके दिलमें रख गए,
ईश्वर आपकी दिव्य आत्मा को शांति प्रदान करे यही प्रार्थना।''
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